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________________ ५८अचविज्ञानी क्षेत्रंथी,, अंगुलना असंख्यातको भाग देख अतीत अनागत क्षेत्र, क्षेत्र उपचारथी कहेवायछे. (वि) ५६१ अंगुलना असंख्यातको भाग देखतो. छतोः अवधि, कालवी आवलिकानो असंख्यातमो भाग देख अंगुल संख्येय भाग मात्र देखतो छतो अवधिज्ञानी, आवलिकानो संख्यातमो भाग देखे. क्षेत्रथी अंगुल देखतो छतो कालथी आवलिकान्तभिन्न आवलिकाने देखे. (वि) ५८२ कालथी आवलिकाने देखतो छतो अवधिज्ञानी क्षेत्रथी के मां गुलथी नव आंगुल देखे. (वि) ५८३ क्षेत्रथी हस्त प्रमाण देखतो छतो अवधिज्ञानी कालथी मुहूती तर्भिन्न मुहूर्त देखे. (वि) ५८४ कालथी दिवसांतर्भिन्न दिवस देखतो छतो क्षेत्रथी गव्यूत विषय वाळू अवधिज्ञान जाणवू. (वि) ५८५ योजनक्षेत्र विषयवालु अवधिज्ञान कालथी घे दीवसयीं ते नव दीवस पर्यंत देखे, (वि)
SR No.023422
Book TitleTattvabindu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
PublisherAdhyatma Gyan Prasarak Mandal
Publication Year1910
Total Pages202
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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