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________________ ३७०.xxxxxxwwwww xxxxxx.'मन्नह जिणाण आणं स्वाध्यायः' भक्तपरिज्ञापयन्ना-३२ ३४६ पुष्पमाला-३३८ २६० ओघनियुक्ति ७८३, धर्मरत्न प्र.३८ वृत्ति ३२४ महानिशिथ - ५/... १६ पुस्तकलेखनम् गुरुस्तुतिः धार्मिकजनसंसर्गः जिनाज्ञा नमस्कारः वन्दनकम् जीवकरुणा जीवकरुणा २२५ सम्यक्त्वम् परोपकारः जीवकरुणा स्वाध्यायः जइ सोऽवि सव्व जणणीए अनिसिद्धो जत्थ साहम्मिया जत्थित्थीकर जम्मि अज्ज वि जम्हा विणयइ जयणा उ धम्म जयणाए वट्टमाणो जयणा वंदणनमणं जयविजया य जरजज्जरा य जललवचलंमि जलजलणरोग जस्स य इच्छा जह करगओ जह गेहं पइदियह जह चयइ चक्कवट्टी जह जलइ जलउ जह तमिह सत्थ जह दूओ रायाणं जह नाम कोइ जह सव्वकाम जह सव्वदोसरहि जह सीसाइं जहा उच्छुखंडाई जहा कामे निव्वेओ जहा कुक्कुडपोअस्स जहा केइ पुरिसे जहा मत्थय सूईए जहाविहि वत्थ जाईमयावलेवा जाए वि जो नमस्कारः प्रतिक्रमणम् कायोत्सर्गः प्रतिक्रमणम मिथ्यात्वम् परोपकारः आवश्यकनियुक्ति-१२१७ . ९५ स्तवपरिज्ञा-१५३, उ.प.-७६९ ३१९ स्तवपरिज्ञा-१५४, उ.प.-७७० ३१९ ६० समरादित्यकेवलिचरित्र २३४ रत्नसञ्चय-१२८ ३१४ २११ २२५ आवश्यकनियुक्ति-६९० ११४ आवश्यकभाष्य-२३७ १३१ आवश्यकनियुक्ति-१२४७ वृत्ति १११ उपदेशमाला-१७३ ३१ समरादित्यकेवलिचरित्र २३४ आवश्यकनियुक्ति-९०७ २१७ आवश्यकनियुक्ति-१२२९ १०१ आवश्यकनियुक्ति-९८३ २१९ आवश्यकनियुक्ति-९८५ २१९ विशेषावश्यकभाष्य-८६२ ११२ पुष्पमाला-३३७ २६० महानिशिथ -२-१६१ ३२० ३२७ दशवैकालिक-८/५४ १८० ३१३ दशाध्ययन-५/११ नमस्कारः वन्दनकम् नमस्कारः नमस्कारः प्रतिक्रमणम् गुरुस्तुतिः जीवकरुणा धार्मिकजनसंसर्गः ___ शीलम् जीवकरुणा मिथ्यात्वम् जीवकरुणा तपः ३१९ २०१ नमस्कारः पञ्चनमस्कारफल-५ २१३ .
SR No.023419
Book TitleMannaha Jinan Aanam Swadhyay
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaykirtiyashsuri
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2013
Total Pages468
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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