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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् ८३ को मौर्य सम्वत् कहा जा सकता है। प्रथम राजमुरियकाल शब्द का प्रयोग, तथा दूसरा खाखेल का मौर्य सम्वत् १६५ में राज्यकाल । इन समस्त विषमताओं व विसंतगियों का निष्कर्ष यही दिया जा सकता है कि चन्द्र गुप्त मौर्य या बिन्दुसार द्वारा मौर्य सम्वत की स्थापना की गयी। अपने वंश की किसी विशिष्टता के प्रदर्शन से बचकर अभिलेखों पर विनीत भाव से मात्र शासन वर्ष का अंकन मशोक ने किया। उसके उत्तराधिकारियों ने भी उसका अनुकरण किया। चूंकि खाखेल के समय मौर्य वंश का अन्त हो चुका था अतः नियमित शासन वर्ष के रूप में उसका प्रयोग नहीं रहा। सम्भवतः मौर्य वंश के पश्चात् के रूप में इसका संदर्भ दिया जाने लगा इससे यह सम्भावना होती है कि मौर्य सम्वत् हाथीगुम्फा अभिलेख के अंकन के समय तक प्रचलन में था अतः कलिंग राज खाखेल ने अपने शासन वर्ष के साथसाथ मौर्य सम्वत् का अंकन भी अभिलेख में किया हो। मौर्य सम्वत् का प्रयोग मात्र अभिलेखों तक ही सीमित रहा रहा। अभिलेखों के आधार पर ही सम्वत् के अस्तित्व की सम्भावना की जा सकती है । तत्कालीन साहित्य में इस सम्बत् का उल्लेख नहीं हुआ है। मौर्य सम्वत् एक ऐसे वंश द्वारा चलाया गया जिसके शासन के आरम्भ की तिथि स्वयं ही विवाद का विषय है । इससे भी अधिक विवाद का विषय यह है कि इस वंश के किस शासक ने सम्वत का आरम्भ किया ? मौर्य वंश किस जाति अथवा वर्ण से सम्बन्धित था ? विद्वानों का एक वर्ग इस वंश का सम्बन्ध शूद्र अथवा दास वर्ग से जोड़ता है। इन सब विषमताओं का परिणाम सम्भवतः यही रहा होगा कि समाज में इस वंश द्वारा दिये गये सम्वत् को अधिक सम्मान प्राप्त न हुआ हो। साथ ही इस वंश की समाप्ति के साथ ही सम्भवतः यह सम्वत् भी समाप्त हो गया हो । मौर्य सम्वत् की शीघ्र समाप्ति का एक कारण यह भी हो सकता है कि वास्तव में यह सम्वत् व्यापक रूप में प्रयुक्त नहीं हुआ। यह तो मात्र शासन वर्ष की गणना थी, अतः मौर्य सम्वत् को कोई नया अथवा पृथक सम्वत् नहीं कहा जा सकता अत: इसके प्रयोग का दीर्घकालिक न होना भी स्वाभाविक ही था। सैल्यूसीडियन सम्वत् सैल्यूसीडियन नाम से ही ऐसा लगता है कि इस सम्वत् का सम्बन्ध सिकन्दर के उत्तराधिकारी सैल्युकस से है, किन्तु इस सम्बन्ध में विवाद यह है कि इस सम्वत् का आरम्भ स्वयं सैल्यूकस ने किया जिसके कारण यह सैल्यूसीडियन सम्बत् कहलाया अथवा किसी अन्य व्यक्ति ने इसका आरम्भ किया और इसका
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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