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________________ ७० भारतीय संवतों का इतिहास ४-५ ई० पूर्व योशू का जन्म हुआ। कनिंघम ने भी इसको माना है । अर्थात् विभिन्न साक्ष्यों में पता चलता है कि यीशू के शताब्दियों बाद ईसाई सम्वत् की स्थापना हुयी। यीशू के जन्म के बाद व्यतीत जिन घटनाओं की तिथियां निर्धारित की गयीं, उनमें एक घटना स्वयं यीशू के जन्म की थी। भारतीय इतिहास में शताब्दियों पहले से इस सम्वत् का प्रयोग हो रहा है। ब्रिटिश शासन के आरम्भ के साथ ही ईसाई सम्वत् को भारतीय प्रशासनिक व लेखन सम्बन्धी कार्यों के लिए ग्रहण कर लिया गया और शनैः-शनैः अन्तर्राष्ट्रीय सम्वत् के रूप में अब इसको मान्यता दे दी गयी है। ईसाई सम्वत् की इस अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता का कारण सम्भवतः इसके अनुयायियों का विशाल भूभाग पर शासन करना तथा अपनी संस्कृति का प्रचार करना था। भारत में भी सदियों के निरन्तर प्रयोग के बाद अब यह सर्वाधिक लोक प्रचलित सम्वत् हो रहा है। अब स्वतन्त्र भारत सरकार द्वारा शक सम्वत् को राष्ट्रीय पंचांग के रूप में ग्रहण कर लिये जाने पर भी ईसाई सम्वत् पहले के समान ही प्रशासनिक व दैनिक व्यवहार में प्रयुक्त हो रहा है । ईसाई सम्वत् का भारतीय इतिहास लेखन में प्रचुर मात्रा में प्रयोग हुआ है। प्राचीन इतिहास को तिथिक्रम देने और विलुप्त अध्यायों के पुनः लेखन के कार्य में ब्रिटिश तथा अन्य पाश्चात्य इतिहासकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है और इन इतिहासकारों द्वारा ईसाई सम्वत् का ही प्रयोग किया गया, अत. आज भारतीय इतिहास को क्रमबद्ध रूप में देखने के लिए बी०सी० व ए०डी० दोनों को ही आधार समझा जाता है। ईसाई सम्वत् का इसी प्रकार प्रयोग विश्व के अनेक राष्ट्रों के इतिहास में हुआ है। ईसाई सम्वत् का वर्तमान स्वरूप १७वीं शताब्दी के बाद ही निर्धारित हुआ है। अतः इससे पूर्व अभिलेख इतिहास, पंचांग आदि के लिए इसका प्रयोग किसी भी रूप में हुआ हो परन्तु वर्तमान समय में पंचांग निर्माण के लिए ईसाई सम्वत् का प्रयोग किया जाता है। ईसाई सम्वत् के कलैण्डर विश्व भर में छपते हैं और हिन्दू शक, विक्रम के पंचांग में भी ईसाई सम्वत् की तिथियां, वर्ष व वार लिखे होते हैं। हिन्दू पंचांगों में इसको इस रूप में कब ग्रहण किया गया, यह तो नहीं कहा जा सकता परन्तु आज भविष्यवाणियां करने, मुहूर्त सुझाने, ग्रहों १. "नवभारत टाइम्स", नई दिल्ली, २३ दिसम्बर, १९८३, पृ० ७ । २. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६,, पृ० ८५।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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