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________________ काल गणना का संक्षिप्त इतिहास, इकाईयां व विभिन्न चक्र ३१ कनिंघम ने ६० वर्ष का लिखा है। फिर प्रथम चक्र को ७६ ई० में समाप्त किस लिये आया है यह स्पष्ट नहीं है । एक चक्र में ६० सौर्य वर्ष होते हैं । प्रत्येक वर्ष की लम्बाई ३६५ दिन, १५ घड़ी, ३१ पल है तथा वर्ष मेष से आरंभ होता है । "चक्र में सूर्य के एक चक्र का, मंगल के १५ चक्करों का, मरकरी के २२ चक्करों का, बहस्पति के ११ चक्करों का, शुक्र के ५ चक्करों का तथा शनी के २६ चक्करों का जोड़ है ।" ग्रह परिवर्ती चक्र पर आधारित सम्वत् ओड़को है । इसका प्रचार मद्रास राज्य के गंजम जिले में है । इसके माह पूणिमान्त हैं। लेकिन १२ भाद्रपद शुक्ल से वर्ष का आरंभ होता है तथा यह १२ वां ही दिन कहलाता है, न कि पहला । दूसरे शब्दों में प्रत्येक भाद्रपद शुद्ध के १२ वें दिन वर्ष बदलता है। ओड़को गणना का आरंभ कब हुआ इस सन्दर्भ में निश्चित साक्ष्य उपलब्ध नहीं होते । कुछ साक्ष्यों से पता चलता है कि यह गणना छोड़ागणा जो कि गड़ग वंश का प्रवर्तक था के समय आरंभ हयी । उसकी तिथि अधिकांशतः ११३१-३२ ए० डी० मानी जाती है । सटन ने उड़ीसा के इतिहास में लिखा है कि यह १५८० ए०डी० में आरम्भ हुआ । परलाकिमेडी, पडाकिमेडी चिन्न किमेडी, की जमींदारी के हिस्सों में ओड़को पंचांग ही माना जाता है। लेकिन ये लोग इसे विशेष रूप से अपने तरीके से ही मानते हैं । ये वर्षों के नाम अपने जमींदारों के नामों पर ही रखते हैं । जो एक बात इन सभी में सामान्य रूप से है, वह यह है कि वे इनके लिपिकरण में जिन वर्षों का अंक ६ है या जिन वर्षों का अंत ६ या ० से होता है (१० को छोड़कर)वह छोड़ दिये जाते हैं। उदाहरण के लिए ५वें व दशवें ओड़को (राजकुमार या जमीदारों के) के अगले ओड़को को ७ वां २१ वां कहेगें न कि छठा व बीसवां । इस तरह की गणना का क्या भाधार है, बताना कठिन है लेकिन वहां के लोगों का विश्वास है कि उनके शास्त्रों व रीति-रिवाजों के अनुसार ये बुरी संख्यायें हैं जो छोड़ दी जाती हैं। यह भी सम्भव है कि यह वर्षों में राज्य बढ़ाने के लिए किया जाता है । एक और विशेष बात यह थी कि ओड़को वर्ष ५६ के बाद नहीं गिने जाते थे उसके बाद के वर्षों के लिए वे द्वितीय श्रेणी, एक द्वितीय श्रेणी आदि प्रकार से गिनते थे। यह भी ध्यान देने योग्य बात है कि जब एक राजकुमार किसी ओड़को वर्ष के बीच में मर जाता था तो उसके उत्तराधिकारी का पहला ओड़को जो १. राबर्ट सीवेल, 'दि इण्डियन कलैण्डर', लन्दन, १८६६, पृ० ३७ २. वही
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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