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भारतीय संवतों का इतिहास की इकाई के संदर्भ में दो मुख्य बातें रहती है : प्रथम कितना सूक्ष्म से सूक्ष्म इकाई का विभाजन हम प्राप्त कर पाते हैं तथा इसके साथ ही समय के अनन्त परिमाप को बांधने के लिए बड़ी-से-बड़ी इकाई क्या रहती है। भारत की प्राचीन काल गणना में इन दोनों ही तथ्यों पर पर्याप्त बल दिया गया है । ___ डॉ० डी० एस० त्रिवेद ने अपनी पुस्तक इण्डियन क्रोनोलोजी में भारत की प्राचीन समय गणना की दो पद्धतियों का उल्लेख किया है : प्रथम के अनुसार' सर्वाधिक सूक्ष्म इकाई परमाणु है। २ परमाणु
= १ अणु ३ अणु
= १ सारेणु ३ त्रसारेणु
= १ त्रुटि १०० त्रुटि
= १ तत्पर ३० तत्पर
= १ निमेष ३ निमेष
१क्षण ६ क्षण
= १ कास्ठा (३.२ सैकिंड) १५ काष्ठा
= १ लघु १५ लघु
= १ नाडिका २ नाडिका
= १ मुहूर्त (४८ मिनट) ७, १/२ नाड़िका = १ प्रहर या यम ४ यम
= १ दिन या रात (१२ घण्टे) ८ यम
== एक दिन व एक रात (२४ घण्टे) १५ दिन
= १ पाख (पक्ष) २ पाख
= १ माह या १ पित्र दिन (अमावस्या) २ माह
= १ ऋतु ६ माह
= १ आयन (दक्षिणायन रात तथा उत्तरायण
देवों का दिन है) २ आयन
= १ वर्ष (देवों का एक रात दिन) १२००० देववर्ष = १ चतुर्युग (१२०० वर्ष कलियुग, २४०० वर्ष
द्वापर, ३६०० वर्ष त्रेता युग, ४८०० वर्ष सत
युग)
१. डॉ० डी० एस० त्रिवेद, 'इण्डियन क्रोनोलोजी', बम्बई १९६३, पृ० १