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________________ २२२ भारतीय संवतों का इतिहास निर्वाण संवतों का आरम्भ ढाई हजार वर्ष पुराना ठहराया गया है। इन संवतों का सम्बन्ध ऐसे व्यक्तियों से है जिन्होंने हिन्दू धर्म व समाज को एक नया मोड़ दिया तथा संस्कृति के विघटित होते मूल्यों को पुनः स्थापित किया । उनके इस प्रकार के प्रयासों ने तत्कालीन राजनीति को भी प्रभावित किया व इनका प्रभाव शताब्दियों तक भारतीय धर्म व समाज पर बना रहा। इस प्रकार ये संवत् उन व्यक्तियों व घटनाओं की ओर संकेत करते हैं जिनका भारतीय धर्म, समाज, संस्कृति व राजनीति पर गहरा प्रभाव है । भारत में सम्वतों का एक रूप यह भी रहा है कि उनका प्रयोग एक सम्प्रदाय विशेष से जुड़ गया या देश के किसी बहुत सीमित भू-भाग पर ही उनका प्रयोग किया गया, जिससे पूरे राष्ट्र के इतिहास से उनका सम्बन्ध स्थापित कर पाना कठिन हो जाता है तथा वे एक सीमित क्षेत्र से सम्बन्धित घटनाओं की ओर ही संकेत करते हैं । इस रूप में सम्वतों ने देश के इतिहास को संकुचित करने का कार्य किया । भारत में सम्वत् आरम्भ की परम्परा ऐसी घटनाओं से जोड़ने की रही है जिनका महत्व ऐतिहासिक दृष्टि से काफी है । और आज जब इन संवतों की उत्पत्ति व इनसे सम्बन्धित घटनाओं का अध्ययन किया जाता है तब यह बात अधिक महत्व की रहती है कि अमुक संवत् के साथ जुड़ी घटना का ऐतिहासिक महत्व क्या है ? आज बुद्ध- निर्वाण संवत् का जो महत्व है उससे कहीं ज्यादा महत्व इतिहासकार के लिए इस बात का है कि इस संवत् का संबंध एक ऐसे व्यक्तित्व की जीवन- घटना से जुड़ा है जिसके क्रिया-कलापों ने देश-विदेश में जनमानस को प्रभावित किया व कालान्तर में इसके सिद्धान्तों ने राजनीतिक सिद्धान्तों को निर्धारित किया व इतिहास को नया मोड़ दिया । संतों से जुड़ी तिथियां, उनसे सम्बन्धित घटनाओं की तिथियां हैं तथा इन महत्वपूर्ण घटनाओं की तिथि निर्धारण का कार्य संवतों के माध्यम से हो सकता है । इस प्रकार संवतों से अधिक महत्वपूर्ण उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनायें हैं, जिनकी तिथि भारत के इतिहास के लिए महत्वपूर्ण है । संवत् की ऐतिहासिकता ही उन घटनाओं की ऐतिहासिकता का आधार है और वह भारतीय इतिहास का आधार बनता है । संवतों का आरंभ जहां राजाओं के राज्यारोहण व उनकी विजयों अथवा किसी नयी नीति स्थापना की घटनाओं से जोड़ा गया है तब वह स्पष्ट रूप से इतिहास-लेखन ही है । इस प्रकार इतिहास को एक क्रमिक तिथिक्रम प्राप्त होता है । विक्रम संवत् की ऐतिहासिकता विक्रम से और उसके क्रिया-कलाप से जुड़ी है । यदि वह घटना या व्यक्ति नहीं हुआ तो उसकी ऐतिहासिक घटना भी विवादास्पद है । बाद में प्रयोग होने पर भी ऐतिहासिक घटना का महत्व इतिहासकार के लिए है ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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