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________________ २२० भारतीय संवतों का इतिहास उन्हें प्राप्त होगी तथा पद्धति को वैज्ञानिकता को देखते हुए स्वयं ही राष्ट्रीय संवत् व पंचांग के प्रति उनका आकर्षण बढ़ेगा तथा इससे संवत् का प्रसार राष्ट्रव्यापी हो सकता है । ५. सरकारी कार्यालयों व शिक्षण संस्थाओं में राष्ट्रीय संवत का प्रयोग अनिवार्य कर, राष्ट्रीय स्तर पर कुछ प्रबुद्ध लोगों, मुख्य रूप से अध्यापकों की ऐसी समितियां गठित की जायें, जिन्हें राष्ट्रीय संवत् व पंचांग के सन्दर्भ में जानकारी दी जाये तथा वे सर्वसाधारण में इसका प्रचारप्रसार करें। ६. संवत् के नाम से शक संवत नाम हटाकर भारतीय राष्ट्रीय संवत नाम का प्रयोग किया जाये तथा राष्ट्रीय संवत के महीनों व तिथियों को भी इस प्रकार नामांकित किया जाये कि वे राष्ट्र के ही किसी प्रतीक से जुड़ी हों, पूर्व प्रचलित किसी भी संवत् के महीनों व तिथियों के नामों से नहीं। ७. राष्ट्रीय संवत् के आरंभ के संदर्भ में निश्चित तिथि व घटना का निर्णय __ लेकर उसकी घोषणा सर्वसाधारण के लिए की जाये । साथ ही राष्ट्रीय संवत् के व्यतीत वर्षों व वर्तमान चालू वर्ष की घोषणा की जाये। भारत सरकार की राष्ट्रीय संवत् के प्रति उदासीनता, उसके पंचांगों के व्यापक वितरण न होने, स्पष्ट रूप से राष्ट्रीय संवत की घोषणा न किये जाने, राष्ट्रीय संवत को वर्तमान भारतीय राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुकल न बनाने आदि कारणों ने भारत सरकार द्वारा अपनाये गये राष्ट्रीय पंचांग का चार दशक बीत जाने पर भी व्यापक प्रसार-प्रचार नहीं होने दिया है। यद्धपि वर्तमान राष्ट्रीय पंचांग भारत में प्रचलित अब तक के देशी-विदेशी संवतों के पंचांगों से अधिक वैज्ञानिक है, किन्तु इसके नाम, महीनों के नाम आदि से इस प्रकार की भ्रान्ति उत्पन्न होती है जैसे यह किसी विशिष्ट सम्प्रदाय से सम्बन्धित हो । शक संवत् शताब्दियों से हिन्दू धर्म-ग्रंथों व पंचांगों से जुड़ा है । वर्तमान समय में दूसरे सम्प्रदायों के लिए वह सम्भवतः हिन्दू संवत् ही है। अतः संवत् का नाम भारतीय राष्ट्रीय संवत् रख देना ही अधिक उचित है । ___ इस तरह भारत राष्ट्र के लिए एक नये राष्ट्रीय संवत् की स्थापना की बात राष्ट्रीय की भावना को प्रेरित कर सकती है । किन्तु आरम्भ में प्रत्येक विचार अथवा कार्य व्यक्तिगत, संस्थागत व राष्ट्रीय ही होता है । किसी भी व्यवस्था की वैज्ञानिकता व व्यावहारिकता उसे अन्तर्राष्ट्रीय बनाती है । मारंभ
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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