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________________ २१८ भारतीय संवतों का इतिहास के लिए कर ली गयी थी। बाद में विदेशों से भी इस सन्दर्भ में बहुत से तत्वों का आदान-प्रदान हुआ। भारतीय गणना-पद्धति के इतिहास को चार प्रमुख स्तरों में अध्ययन किया जाता है : वेदांग ज्योतिष का समय, वेदांग ज्योतिष से सिद्धान्त ज्योतिष तक का समय, आरंभिक सैद्धान्तिक युग तथा अंतिम सैद्धान्तिक युग। इसके साथ ही गणना के लिए नक्षत्रों को अलग-अलग महत्व प्रदान करते हुए उनके नाम पर कुछ समयचक्रों का निर्धारण किया गया। इसमें सप्तर्षि चक्र, बृहस्पति चक्र, परशुराम का चक्र व ग्रह परिवर्गी चक्र प्रमुख हैं। धीरेधीरे ये चक्र भी अनेक संवतों का आधार बने । ___ भारत में संवतों की स्थापना दो मुख्य उद्देश्यों को ध्यान में रखकर की गयी । प्रथम, धर्म का महत्व प्रदर्शित करना व धार्मिक आवश्यकताओं को पूरा करना, दूसरा राजनीतिक प्रभुसत्ता प्रदर्शित करना तथा राजा व राजवंश के महत्व को दर्शाना । धार्मिक महत्व के संवतों का संबंध धर्मनेताओं की जीवन घटनाओं से जोड़ा गया तथा ये संवत किसी न किसी सम्प्रदाय विशेष में प्रचलित रहे। उसमें बहुत से आज भी प्रचलित हैं। इन संवतों का प्रयोग धार्मिक ही अधिक रहा । शेष कार्यों के लिए इनका प्रयोग बहुत कम हुआ। दूसरे, प्रकार के संवत् जिनकी स्थापना राजनीतिक उद्देश्यों के लिए की गयी उनके आरम्भ का सम्बन्ध ऐतिहासिक घटनाओं से जोड़ा गया। यद्यपि इन संवतों के आरंभ की घटनाओं की तिथि में भारीमत भेद है, फिर भी विभिन्न साक्ष्यों से प्राप्त निष्कर्षों के आधार पर यह माना जाता है कि वे सम्भावित तिथि के करीब घटित अवश्य हुई। इन संवतों का प्रयोग अभिलेखों के अंकन, साहित्य-लेखन, इतिहासलेखन आदि कार्यों के लिए हुआ। इसके साथ ही धार्मिक उद्देश्यों के लिए भी इन संवतों का उपयोग किया गया । यद्यपि धर्म-चरित्रों व ऐतिहासिक घटनाओं से आरम्भ होने वाले संवत् अपनी आरंभिक तिथि, आरम्भकर्ता व उपयोगिता में एक-दूसरे से बहुत भिन्न थे, फिर भी गणना-पद्धति के सम्बन्ध में इनमें गहरी समानता थी। भारतीय संवतों में ग्रहण की गयी गणना-पद्धति में चन्द्रमान, सौरमान व चन्द्रसौर-मान की मिश्रित पद्धति तथा नक्षत्रीय पद्धतियां रहीं। भारत के अनेक स्थानों पर विभिन्न संवतों के संदर्भ में ये आज भी प्रयुक्त हो रही हैं जिस कारण गणना की बहुत सी इकाइयां व तत्व लगभग सभी संवतों में एक जैसे ही प्रयुक्त हुए। धर्म नेताओं को महत्ता प्रदान करना, राजाओं की अहं भावना, विदेशियों के आक्रमण, एक राष्ट्र-व्यापी पद्धति का विकसित न हो पाना आदि अनेक
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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