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________________ २०२ भारतीय संवतों का इतिहास महीना मुख्य रूप में चन्द्रीय तथ्य है तथा इसकी समय तिथि सूर्य व चन्द्रमा के संवेग पर निर्भर है। "वर्तमान चन्द्र माह की अवधि २६.५३०५८८१ दिन या २६ दिन, या २६ दिन १२ घण्टे ४४ मिनट २.६ सेकेण्ड है। महीनों के और भी बहुत से प्रकार हैं जो चन्द्रमा व सूर्य से लिये गये हैं ?" पंचांग निर्माण कार्य को प्रभावित करने वाला तीसरा महत्वपूर्ण प्राकृतिक दृश्य ऋतु अथवा वर्ष है। वर्ष की लम्बाई के संदर्भ में प्राचीन धारणायें अस्पष्ट हैं। अधिकांश राष्ट्र प्राचीन समय में वर्ष की लम्बाई ३६० दिन मानते थे जिसमें १२ माह ३०-३० दिन के होते थे। उनका विचार था कि चन्द्रमा की कलाएं ३० दिन बाद पुनः दोहरायी जाती हैं, अनुभव के आधार पर पाया गया कि यह पद्धति गलत है, फिर भी इसने पंचांग इतिहास पर गहरी छाप छोड़ी। मिश्रवासियों ने नील नदी की बाढ़ के आधार पर बहुत पहले ही यह जान लिया कि वर्ष की लम्बाई ३६५ दिन है। बाद में उन्होंने वर्ष की सही लम्बाई ३६५.२५ दिन के लगभग पा ली। अर्थात् प्राकृतिक दृश्यों के निरन्तर परखते जाने से ही आदि युग में मनुष्यों ने समय मापन पद्धति को पाया तथा उसके विभाजन में भी उन्हें सहायता मिली। वर्तमान सायन वर्ष की लम्बाई यह है३६५.२४२१९५५ दिन' । जब सूर्य पुनः अपने सही रास्ते पर लोट आता है, उसमें जितना समय लगता है कुछ राष्ट्रों में प्राचीन समय में इसी समयावधि को एक नाक्षात्रिक वर्ष की लम्बाई माना जाता था। कलेण्डर के विकास के ऐतिहासिक क्रम का प्रयोग दो उद्देश्यों के लिये किया गया। प्रथम, नागरिक व प्रशासनिक जीवन में सामंजस्य स्थापित करने के लिये। दूसरा, मानवीय जीवन को निरन्तरता देने के लिये। प्राचीन व मध्य काल में समाज, चर्च (धार्मिक संस्थायें) व शासक एक दूसरे से गुथे थे। एक कलेण्डर का प्रयोग सबके लिये होता था लेकिन आज के युग में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक व सामाजिक नीतियों को तय करने की आवश्यकता है। अतः एक धार्मिक संस्था से जुड़े कलण्डर का प्रयोग प्रशासनिक, नागरिक व धार्मिक तीनों कार्यों के लिये नहीं किया जा सकता। आज के युग में एक अन्तर्राष्ट्रीय संवत की आवश्यकता महसूस की जा रही है। __ सुविधा के लिये दिन को भी अनेक उप-भागों में बांटा गया। विभिन्न पंचांगों में यह व्यवस्था भिन्न प्रकार की है। एक घड़ी समय को विभिन्न १. "रिपोर्ट ऑफ द कलेण्डर रिफार्म कमेटी", नई दिल्ली, १९५५, पृ० १५८ ।। २. वही।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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