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________________ १६८ भारतीय संवतों का इतिहास बहाई संबत् जो बहाई सम्प्रदाय से सम्बन्धित है, भी भारत के वर्तमान प्रचलित संवतों में है। यह धर्म नेता बाब से सम्बन्धित है । यद्यपि इस संवत् में अब तक प्रचलित संवत् से कुछ पृथक पद्धति अपनायी गयो है तथा इसको वैज्ञानिकता प्रदान करने का प्रयास भी हुआ है, इसमें १६-१६ दिनों के १६ महीनों में पूरे सौर वर्ष को बाँटा गया है । परन्तु यह भी साम्प्रदायिक व धार्मिक ही है, तथा राष्ट्रीय नेतत्व नहीं करता। उपरोक्त उल्लिखित कुछ विशिष्ट संवतों के अतिरिक्त श्री कृष्ण, बंगाली सन्, कोल्लम संवत्, फसली, आदि संवत् भी भारत में प्रचलित हैं, किन्तु इन संवतों की गणना पद्धति स्पष्ट न होने व इनके आरम्भिक समय के विषय में गहरा मतभेद होने के कारण ये शहस्त्राब्दियों व शताब्दियों बाद भी वहीं तक मीमित हैं, जिन सम्प्रदाय व क्षेत्र में इनका आरंभ हुआ था। अतः इनमें राष्ट्रीय संवत् बन पाने की क्षमता नहीं है। स्पष्ट है कि उपरोक्त उल्लिखित अनेक संवत् यद्यपि बहुत समय तक भारत के राजनैतिक, प्रशासनिक व धार्मिक कार्यों में प्रयुक्त हुए, परन्तु आज की भारतीय परिस्थितियों में उन में भारतीय राष्ट्रीय संवत् बनने की क्षमता नहीं है। इन संवतों की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि ये बहुउद्देशीय नहीं बन पाये । जो धर्म से सम्बन्धित था, मात्र धार्मिक ही रहा, जो प्रशासनिक था, प्रशासनिक ही रहा । दैनिक व्यवहार, धर्म, प्रशासन, भारत के समस्त भू-प्रदेश पर प्रचलन तथा अधिकांश जनता द्वारा एक साथ ग्रहण करने जैसे विभिन्न उद्देश्यों को किसी ने भी एक साथ पूरा नहीं किया। इतिहास इसका साक्षी है कि अनेक घटनाओं ने विश्व के अनेक राष्ट्रों को समय गणना पद्धति के सुधार तथा नया राष्ट्रीय संवत् अपना लेने को प्रेरित किया। फ्रान्स का क्रान्तिकारी कलेण्डर इसका उदाहरण है। नेपाल में भी विक्रम संवत् को लगभग राष्ट्रीय संवत् का स्थान प्राप्त है। "नेपाल में सारा व्यवहार विक्रम संवत् के अनुसार होता है । राजनीति से लगाकर बैंक तक सब जगह इसी राष्ट्रीय संवत् के हिसाब से सारा काम धाम चलता है। १९४७ में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद भारत सरकार ने भी यह महसूस किया कि भारत में प्रचलित असंख्य संवतों के स्थान पर एक राष्ट्रीय पंचांग ग्रहण किया जाये। इसके लिए शक संवत् को सर्वाधिक उचित समझा गया। एक नया राष्ट्रीय १. बनवारी, 'समय का जीवन से कटा हुआ पैमाना', "जनसत्ता", १ जनवरी, १६८७, पृ०४।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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