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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १६६ ई० से राजशक संवत् का आरंभ हुआ। इसके वर्ष का आरंभ ज्येष्ठ सुदी १३ ले होता है तथा माह अमान्त (चन्द्र) है । यह संवत् महाराष्ट्र में प्रचलित हुआ।' इस संवत को भी भारतीय संवतों को उसी श्रेणी में रखा जा सकता है जिनका आरंभ राजनैतिक शक्ति के प्रदर्शन के उद्देश्य से किया गया तथा आरंभकर्ता की शक्ति के ह्रास के साय ही संवत् का महत्व भी घट गया व कुछ समय बाद संवत का प्रचलन लुप्त हो गया। शिवाजी ने नये स्वतन्त्र राज्य की स्थापना की। अतः अपनी शक्ति के चर्मोत्कर्ष को दर्शाने के लिए प्रतीक रूप में "राज-शक संवत्" की स्थापना की। राज-शक संवत की गणना पद्धति के संदर्भ में यह नवीनता लाने का प्रयास हुआ कि इसके नये वर्ष का आरंभ हिन्दू पंचांग के ज्येष्ठ माह की शुक्ला १३वीं 'तिथि से किया जाता था, जैसा कि ओझा के कथन से विदित है। इसके अतिरिक्त इस संदर्भ में विशेष उल्लेख नहीं मिलता कि इसके लिए पूर्व गणना पद्धति से पृथक कोई नवीन तत्व ग्रहण किये गये। अतः यही माना जा सकता है कि यह पूर्व प्रचलित हिन्दू गणना पद्धति पर ही आधारित था। विविध संवत् अब इनके अतिरिक्त कुछ संवत ऐसे भी हैं जिनका नाम ही पता चलता है, इनके विषय में जानकारी के स्रोत नगण्य हैं । इस प्रकार के कुछ संवतों का वर्णन यहां किया जायेगा । यद्यपि तिथिक्रम के अनुसार इनका उल्लेख पहले ही हो जाना चाहिए था लेकिन इनके विषय में प्राप्त अल्प जानकारी व कोई भी निश्चित तथ्य उपलब्ध न होने के कारण इनका पृथक-पृथक शीर्षकों से उल्लेख न करके यहां परिचय दिया गया है । ___ डॉ० अरुण ने "सुमतितन्त्र" नामक ग्रंथ के आधार पर कुछ संवतों का उल्लेख इस प्रकार किया है : "सुमतितन्त्र नामक ग्रन्थ की रचना सन् ५७६ के आसपास की गयी। इसकी एक प्रति ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है। इस ग्रंथ में लिखने की तारीख दी है-युधिष्ठिर राज्याब्द २०००, नन्द राज्याब्द ८००, चन्द्र गुप्त राज्याब्द १३२, शुद्र कदेव राज्याब्द २४७, शक राज्याब्द ४६८ ।"२ इस उद्धरण में तीन ऐसे संवतों का नाम आया है जिनका अभी इस शोध प्रबन्ध १. "रिपोर्ट ऑफ द कलण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ । २. डा० अरुण, "भारतीय पुरा इतिहास कोष", १९७८, पृ० ८५७ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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