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________________ १६६ भारतीय संवतों का इतिहास राजनीतिक व धार्मिक उद्देश्यों के लिए साथ-साथ व्यवहार में लाया गया और अपने आरंभ से ही इसने इन दोनों उद्देश्यों को पूरा किया | जिस भांति इलाही धर्म के सहयोगी के रूप में इलाही संवत् का सूत्रपात किया गया था उसी भाँति इलाही धर्म के साथ ही यह संवत् भी लुप्त हो गया । संभवतः इसका कारण बाद के शासकों का इलाही धर्म में अविश्वास ही था । अत: उन्होंने इस धर्म से संबंधित संवत को भी कोई महत्व नहीं दिया । इलाही धर्म व इलाही संवत् दोनों ही अकबर के जीवनकाल तक ही प्रभावपूर्णं रहे, बाद में समाप्त हो गए । . पूर्वं प्रचलित चन्द्रीय कलेण्डर में इस संवत् के अन्तर्गत काफी परिवर्तन किया गया । तिथियों की भिन्नता को मिटाने व नवीन तालिकायें बनाने का कार्य इसमें हुआ । चन्द्रीय पंचांग को हटाकर सौर वंचांग अपनाया गया, ईरानी महीनों के नाम ग्रहण किये गये तथा लौंद के माह को हटाकर महीनों में दिनों की संख्या बढ़ा दी गयी । "इलाही सन् के १२ महीनों के नाम इस प्रकार हैफरवरदीन, उदिबहिश्त, खुर्दाद, तीर, अमरदाद, शहरेवर, मेहर, आवांआजर, दे, बहमन्, अस्फंदिआरमद । ये ईरानियों के यज्दजर्द सन् से लिए गए हैं । ' इलाही संवत् में दिनों, तारीखों अथवा तिथियों को अंकों में न लिखकर प्रत्येक के लिए अलग-अलग नाम दिये गये हैं तथा उनके नाम ही लिखे जाते थे । इलाही सन् के महीने कुछ २६ दिन के, कुछ ३०, कुछ ३१ तथा एक ३२ दिन का भी माना जाता था तथा वर्ष ३६५ दिन का होता था एवं चौथे वर्ष एक दिन और जोड़ दिया जाता था । "एक से ३२ तक दिनों के नाम इस प्रकार थे – (१) अहूर्वज्द, (२) बहमन, (३) उदिबहिश्त ( ४ ) शहरेवर, (५) स्पंदारमद, (६) खुर्दाद, (७) मुरदाद, (८) देपादर, ( 8 ) आजद (आदर ), (१०) आवा, (११) खुरशेद, (१२) माह, (१३) तीर, (१४) गोश, (१५) देपमेहर, (१६) मेहर, (१७) सरोश, (१८) रश्नह, (१६) फरबरदीन, (२०) वेहराम, (२१) राम, (२२) गोवाद, (२३) देपदीन, (२४) दीन, (२५) अर्द, (२६) आस्ताद, (२७), आस्मान्, (२८) जमिआद, (२९) मेहरेस्पंद, (३०) अनेश, (३१) रोज, (३२) शब । इनमें से ३० तक के नाम तो ईरानियों के दिनों के ही हैं और अंतिम दो नये रखे गये हैं । २ १. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर, ११८, पृ० १३ । २. राहुल सांकृत्यायन, "अकबर", इलाहाबाद, १६५७, पृ० ३२० ॥
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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