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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १५१ ६ या शक सम्वत् ८११ श्रावण शुदि सप्तमी को नेपाल विजय कर जयदेव मल्ल और अनंद मल्ल को तिरहुत की तरफ निकाल दिया । इस कथन के अनुसार शक सम्वत् और नेवार सम्वत् के बीच का अन्तर ८११=६=८०२ तथा विक्रम सम्वत् व नेवार सम्वत् के बीच का अन्तर ६४६=६=९३७ वर्ष आता है । 1 नेपाल सम्वत् में सम्पूर्ण नेपाल को जीतने तथा आनंद मल्ल व जयदेव मल्ल को हराने वाले न्यायदेव को फ्लीट ने दक्षिण का नहीं माना है । फ्लीट ने यह सम्भावना व्यक्त की है : "सत्य सम्भवतः यह है कि नान्यदेव जयदेव मल्ल का मन्त्री था, जिसने समय का लाभ उठाकर राजसत्ता हड़प ली, जो वंशावली के अनुसार उसकी पांच पीढ़ियों बाद तक उसके वंशजों के हाथों में रही । यह बता पाना कठिन है कि नान्यदेव वस्तुतः दक्षिणात्य था अथवा नहीं। हो सकता है कि यह अभिकथन एवं राजवंश का नाम मनगढ़न्त हो और उसकी कल्पना केवल नये सम्वत् से संबद्ध वर्ष के रूप से संगति बिठाने के लिए की गयी हो, सम्वत् की स्थापना वस्तुतः उसके द्वारा हुई थी, जयदेव मल्ल द्वारा नहीं ।"" 1 नेपाल में नये सम्वत् की स्थापना के साथ ही पंचांग में भी परिवर्तन किया गया । यह परिवर्तन था " नेपाल में अब तक प्रयुक्त वर्ष के स्थान पर अन्य प्रादेशीय कर्नाटक वर्ष की संस्थापना हुई । कलैण्डर सुधार समिति ने भी नेवार सम्वत् के आरम्भ की तिथि ८७८ ई० दी है । कनिंघम ने राजा राघवदेव को नेपाल सम्वत् का आरम्भकर्ता माना है जिसने ८५० ई० में नेपाल में इस सम्वत् का आरम्भ किया । परन्तु भगवान लाल इन्द्र जी को प्राप्त वंशावालियों से इस तथ्य की पुष्टि नहीं होती । चालुक्य विक्रम सम्वत् अभिलेखों में इस सम्वत् को "चालुक्य विक्रम काल" या "चालुक्य विक्रम वर्ष" के नाम से अंकित किया गया है । कभी कभी इसके लिए "वीर विक्रम १. जॉन फेथफुल फ्लीट, "भारतीय अभिलेख संग्रह", (हिन्दी अनु० गिरजाशंकर मिश्र), जयपुर, १६७४, पृ० ७४ । २. वही, पृ० ७४ । ३. "रिपोर्ट ऑफ द कलैण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १६५५, पृ० २५८ । ४. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६, पृ० ७४ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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