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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १४६ वर्ष सदैव सौर व चालू वर्ष ही लिखे जाते हैं। "मालाबार में महीनों के नाम संक्रान्तियों के नाम पर ही हैं, परन्तु तिन्नेवेल्लि जिले में उनके नाम चैत्रादि महीनों के लौकिक रूप से हैं। चैत्र को शित्तिर' या 'चित्तिरै' कहते हैं। वहां का सौर चैत्र मालाबार वालों का 'मेष' है। इस सम्बत् के वर्ष बहुधा वर्तमान ही लिखे जाते हैं। इस सम्वत् गला सबसे पुराना लेख कोल्लम सम्वत् १४६ का मिला है। __यह सम्वत् परशुराम चक्र अर्थात् १००० वर्षों वाले चक्र पर आधारित है । “१००० वर्ष पूरे होने पर वर्ष फिर एक से प्रारम्भ होना मानते हैं और वर्तमान चक्र को चौथा चक्र बतलाते हैं, परन्तु ईस्वी सम्वत् १८२५ में इस सम्वत् या चक्र के १००० वर्ष पूरे हो जाने पर फिर उन्होंने एक से वर्ष लिखना शुरू नहीं किया किन्तु १००० से आगे लिखते चले आ रहे हैं, जिससे इस सम्वत् को १००० वर्ष का चक्र नहीं मान सकते ।"२ कोल्लम सम्वत् के सम्बन्ध में यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता कि किस घटना के संदर्भ में इसका आरम्भ हुआ। लेकिन इतना निश्चित है कि इसका प्रयोग कई शताब्दियों तक भारत के कुछ प्रदेशों में हुआ तथा अन्य सम्वतों के समान ही इसका पंचांग भी जन साधारण में पर्याप्त रूप में प्रयोग होता है तथा इसका प्रयोग अभिलेखों के तिथि अंकन के लिए भी किया गया। कोल्लम सम्वत् के संदर्भ में यह विशिष्टता है कि उत्तरी मालाबार में १७ सितम्बर से वर्ष आरम्भ होता है तथा दक्षिणी मालाबार में वर्ष का आरम्भ १७ अगस्त से होता है। "१६५४ ई० में कोल्लम सम्वत् का ११३० प्रचलित वर्ष था।"3 कोल्लम सम्वत् के आरम्भ के सम्बन्ध में यदि शंकराचार्य की मृत्यु की घटना को आधार माना जाये, जिसका कि समर्थन श्री ओझा ने भी किया है, तब यह तथ्य सामने आता है कि यह अन्य भारतीय संवत्-आरंभ परम्परा से हटकर है, क्योंकि ऐसे बहुत कम संवत् हैं जो मरण-स्मृति के रूप में स्थापित किये गये। अधिकांश संवतों का आरंभ राजनैतिक शक्ति-संपन्नता के अवसर पर ही किया गया। १. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा, "भारतीय प्राचीन लिपिमाला", अजमेर, १६१८, पृ० १८० । २. वही। ३. "रिपोर्ट ऑफ द कलेण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५० ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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