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________________ १२६ भारतीय संवतों का इतिहास फमली संवत् को ग्रहण करने का मुख्य कारण इस्लाम पंचांग का पूर्ण रूप से चन्द्रीय होना माना जा सकता है। भारत में मुस्लिम शासन के समय हिज्री सन् राजकीय सन् था, परन्तु उसका वर्ष पूर्ण चन्द्रीय होने के कारण सौर वर्ष से वह लगभग ११ दिन छोटा था। इससे फसलों व वर्षों के तालमेल में कठिनाई आती थी । लगान का माह निश्चित नहीं हो पाता था। अतः दोनों फसलों (रबी और खरीफ) का लगान नियत महीने में लेने के उद्देश्य से बादशाह अकबर ने हिज्री सन् १७७ (ई० संवत १५६३) से फसली सन् आरम्भ किया। इसी से इसका नाम फसली सन् पड़ा। अतः किसानों की सुविधा के लिये व लगान निश्चित क्रम में वसूली के लिये इस संवत् का आरम्भ हुआ। डा० डी० एस० त्रिवेद ने फसली सन् का आरम्भ हर्ष के जन्म से माना है । "फसली संवत् का आरम्भ हर्षवर्धन के जन्म के समय हुआ। इसकी तिथि ५६३ ई० अथवा ५१५ शक संवत् है। भारत के विभिन्न स्थानों पर इसे अपनाये जाने के विभिन्न कारण हैं।"१ कलण्डर सुधार समिति के अनुसार-"१६५४ ई० में बंगाल में प्रचलित फसली संवत का १३६२वां वर्ष चाल था जोकि १३ सितम्बर भाद्र कन्यादि प्रथम से आरम्भ हुआ तथा यह पूर्णिमांत है । दक्षिण फसली का १३६४वां वर्ष था जो एक जोलाई से आरम्भ हुआ। बम्बई में प्रचलित फसली संवत का १३६४वां वर्ष चालू था जो ८ जून से सूर्य के माघ नक्षत्र में प्रवेश के साथ आरम्भ हुआ।"२ कनिंघम ने फसली संवत् का आरम्भ मुगल बादशाह अकबर के समय से माना है : “फसली संवत् का आरम्भ अकबर की नई धारणाओं को स्थापित करने की प्रवृत्ति से सम्बन्धित है । इसका आरम्भ अकबर के राज्यारोहण की तिथि से माना जाना चाहिये अथवा हिजी वर्ष ६६३ में द्वितीय रवी-उस-सनी से लगाना चाहिये या १४ फरवरी १५५६ ई० से ।"3 १५५६ ई० में अकबर द्वारा ग्रहण किये गये फसली संवत् की यह विशिष्टिता थी कि इसको पूर्ण रूप से सौर पंचांग के रूप में परिवर्तित कर दिया गया जबकि १. (अ) डी० एस० त्रिवेद, 'फसली एरा', "जर्नल ऑफ इण्डियन हिस्ट्री", वोल्यूम १६, कलकत्ता, पृ० २६२-३०१ । (ब) डी० एस० त्रिवेद, "इण्डियन क्रोनोलॉजी", बम्बई, १९६३, पृ० ३४ । २. "रिपोर्ट ऑफ द कलण्डर रिफोर्म कमेटी", दिल्ली, १९५५, पृ० २५८ । ३. एलग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १९७६, पृ० ८२।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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