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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १०७ नहीं किया है कि उस समय गणना के तरीके में सैंकड़े छोड़ दिये जाते थे। दूसरी ओर हमें ऐसे भी कई अभिलेख मिलते हैं जिनमें सेंकड़े के अंक दिये गये हैं। उदाहरणार्थ पंजतर पत्थर अभिलेख में वर्ष १२२ दिया है। तक्षशिला रजत पत्र में तिथि १३६ वर्ष लिखी है यह सिद्धांत ऐसी तिथियों की व्याख्या के लिये कोई हल नहीं देता।' अभिलेख के विश्लेषण से प्रतीत होता है कि कनिष्क ने तिथि अंकन के लिये अपने राजकीय वर्षों का प्रयोग किया, जिसे उसके उत्तराधिकारियों ने जारी रखा। अधिकांश अभिलेखों में तिथि अंकन में शासनारूढ़ राजा का नाम, संवत्सर शब्द के बाद वर्ष की संख्या, ऋतु या मास का नाम, मास के दिन की संख्या आदि दी गयी है। कुछ अभिलेखों में नक्षत्रों के नाम भी हैं। कुछ अभिलेखों में उपाधियों के सहित राजा का नाम तिथि परक विवरण के बाद दिया गया है । तिथि अंकन की विधि आन्ध्र सातवाहनों तथा दक्षिणी-पश्चिमी भारत के शकों के अभिलेखों में अपनायी गयी विधि के समान ही है। भारत के प्राचीन सम्वत् में शक सम्वत् ही ऐसा है जिसे खगोलशास्त्रियों व पंचांग निर्माताओं द्वारा साथ-साथ अपनाया गया। साहित्य में भी मुख्य रूप से संस्कृत) इस सम्वत् को स्थान मिला। भारत सरकार ने जिस शक संवत् को राष्ट्रीय संवत् के रूप में ग्रहण किया उसका स्वरूप ७८ ई० में आरम्भ होने वाले शक सम्वत् से भिन्न है। इसमें ग्रिगोरियन कलेण्डर की तिथियों के साथ स्थायी अनुरूपता स्थापित की गयी है। "ग्रिगोरियन कलण्डर के साथ-साथ देश भर के लिये शक सम्वत् पर आधारित समान राष्ट्रीय पंचांग जिसका पहला महीना चैत्र है और सामान्य वर्ष ३६५ दिन का है, २२ मार्च १९५७ को इन सरकारी उद्देश्यों के लिये अपनाया गया : १. भारत का राजपत्र ; २. आकाशवाणी के समाचार प्रसारण; ३. भारत सरकार द्वारा जारी किये गये कलैण्डर; और ४. भारत सरकार द्वारा नागरिकों को सम्बोधित पत्र । सुधरे राष्ट्रीय पंचांग और ग्रिगोरियन कलण्डर की तिथियों में स्थाई अनुरूपता है।"२ चैत्र सामान्य वर्ष में साधारणतया २२ मार्च को और लौंद के वर्ष में २१ मार्च को पड़ता है। शक सम्वत् के विकास के इस तीसरे चरण के सम्बन्ध में अधिक विस्तृत विवरण पंचम अध्याय राष्ट्रीय पंचांग में दिया गया है। १. बलदेव कुमार, "दि अर्ली कुषान्स", दिल्ली, १६७३, पृ० ६३ । २. वार्षिक संदर्भ ग्रंथ "भारत", भारत सरकार मुद्रणालय, फरीदाबाद, १९७६,. पृ० २५।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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