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________________ ऐतिहासिक घटनाओं से आरंभ होने वाले सम्वत् १०५ चन्दसौर वर्ष से किया जाता है।' इसी संदर्भ में कनिंघम ने ५ अप्रैल ई० सन् १८८६ से २४ मार्च ई० सन् १८८७ की अवधि को शक सम्वत् १८०८ के साथ संगति रखते हुये सारणियां प्रस्तुत की हैं। अत: शक तिथि को ईसाई सम्वत् में बदलने के लिये शक की ज्ञात तिथि में ७८ वर्ष जोड़ने चाहिये तथा क्रिश्चयन तिथि को शक में बदलने के लिये क्रिश्चयन की ज्ञात तिथि में से ७८ वर्ष घटाने चाहिये । “७८ ई० की तिथि साधारणतः कुषाण शासक कनिष्क से सम्बन्धित है । इसके आरम्भकर्ता के रूप में दूसरे नाम भी सुझाये जाते हैं।"२ पी०सी. सेन गुप्त ने विभिन्न खगोलशास्त्रीय तथ्यों व ग्रहणों के हिसाब के आधार पर कनिष्क की तिथि बतायी है : "इस प्रकार हम देखते हैं कि यह परिकल्पना कि राजा कनिष्क का सम्वत् २५ दिसम्बर ७६ ई० में आरम्भ हुआ था या वर्ष २ शक सम्वत् से आरम्भ हुआ था। डा० कोनोव के खरोष्ठी में दिये गये लेख से प्रारम्भ होने वाले समस्त तथ्यों की पुष्टि करता है । हमारी खोज यह दिखाती है कि शक राजा कनिष्क शक सम्वत् के आरम्भ में रहता था। यह विचार मुझे पूर्ण विश्वास है सभी सही दिमाग वाले इतिहासकारों द्वारा माना जायेगा ।" शक सम्वत् के लिये नगरों, प्रान्तों अथवा किसी शासक के शासन क्षेत्र को आंकन की आवश्यकता नहीं है। इसका प्रसार क्षेत्र सम्पूर्ण भारतवर्ष में हुआ और आज भी हो रहा है। अपने जन्म स्थल से कितने समय बाद यह पूरे देश में फैल गया यह बता पाना तो कठिन है, लेकिन शताब्दियों से यह सम्पूर्ण भारत के कोने-कोने में प्रयोग हो रहा है और अब भारत सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय सम्बत् मान लिये जाने पर उसके प्रसार को और भी बल मिला है। शक सम्वत् का वर्तमान प्रचलित वर्ष १९११ है जो ईसाई सम्वत् १९८६.६०, विक्रम २०४६, हिज्री १४०६-१०, बुद्ध निर्वाण २५६२, महावीर निर्वाण २५१५-१६ के बराबर है। १. एलेग्जेण्डर कनिंघम, "ए बुक ऑफ इण्डियन एराज", वाराणसी, १६७६, पृ० ५२। २. एम० भट्टाचार्य, "ए डिक्शनरी ऑफ इण्डियन हिस्ट्री", कलकत्ता, १९६७, पृ० १७४। ३. पी०सी० सेन गुप्त, "ऐंशियंट इण्डियन क्रोनोलॉजी", कलकत्ता, १९४७, पृ० २२३ ।
SR No.023417
Book TitleBharatiya Samvato Ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAparna Sharma
PublisherS S Publishers
Publication Year1994
Total Pages270
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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