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________________ ३ए शीलोपदेशमाला. पली “मने बहु टाढ लागे .” एम मदनमंजरीये कडं एटले राजकुमार अगडदत्त वनमां जश् श्ररणीना काष्टने मथन करी अग्नि लश्याव्यो. हवे जे देवालयमां प्रियाने मूकी राजकुमार काष्ठ लेवा गयो हतो, ते देवालयमां गामने विषे चोरी करीने पांच चोरो संताइ रह्या हता. तेए अजाणपणाथी दीवो कस्यो एटले मदनमंजरी ते ने मध्ये न्हानाने देखीने मोह पामी अने कहेवा लागी के, “ जो तुं म्हारो आदर करे तो हुँ त्हारी साथे श्रावु.” चोर ते वातनी हा कही एवामां कुमार काष्ठ लश्ने श्राव्यो भने शंकाथी प्रियाने पूज्युं के, “दीवो शेनो हतो?" मदनमंजरीये उत्तर थाप्यो के, “ हे खामिन् ! तमे अरणिना काष्ठनो अग्नि पामता हता तेनुं तेज जीत उपर लाग्युं तेनुं ए प्रतिबिंब हतुं." कुमार ते वात मानी पोतानी तरवार प्रियाना हाथमा श्रापी पोते अ. निने प्रगट करवा लाग्यो एटले मदनमंजरीए तरवार उघाडी करीने पति उपर पडती मूकी; पण तेने ते वागी नहीं. कुमारे शंकाथी प्रियाने पूज्यु के, " तरवार केम पडी गई ?” मदनमंजरीये उत्तर श्राप्यो के, "हुँ तरवार उघामती हती; पण टाढने लीधे पमी ग .” पनी थग्नि प्रगट करीने कुमारे प्रियानी टाढ निवृत्त करी. सवारे सुंदर राजा सर्व जन सहित नगरमां श्राव्यो. राजकुमार अगमदत्त पण पोताना घरप्रत्ये श्राव्यो अने इंजियोने वश करी न्यायधर्ममां तत्पर थर अनुक्रमे त्रिवर्ग (धर्म अर्थ श्रने काम ) नुं पोषण करवा लाग्यो. ___ एक दिवसे युवराज सजामां बेगे हतो एवामां को सोदागर तेने घोडा देखावा लाग्यो. तेमां विशाल बातिवाला, समान पीठवाला, न्हाना कानवाला, पुष्ट वांसावाला, वेगथी चपल पगवाला अने दशलक्षणोथी युक्त एवा एक घोडाने जोश तेना उपर ते राजकुमार बेगे अने तेनी चपलगति रोकवाने माटे तेणे लगाम खेंची एटले ते अश्व पंचमी गति चालवा लाग्यो, जेथी तेनी पाउल जता एवा केटलाक घोडा थाकीने पाढा वल्या अने केटलाक तेनी पायल जवा लाग्या. परंतु ते घोडो तो कुशिष्य जेम गुरुने अवला मार्गे लइ जाय तेम राजकुमारने क्षण मात्रमा म्होटा अरण्यने विषे लश् गयो. पड़ी कुमारे
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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