SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नारदनी कथा. करीने लइ जाय बे. " त्यारे पोते प्रसिद्ध थवामाटे श्रीकृष्णे पोतानो पांचजन्य नामनो शंख वगाडी रथ घणोज उतावलो चलाव्यो. " पढी नारदे शिशुपाल पासे श्रावीने कयुं के, " हे शिशुपाल ! तने पेली रुक्मिणी ने श्रीकृष्ण लइ जाय बे, तो पढी व्हारुं जीवितव्य शा कामनुं बे ? " श्रावी रीते जेम शिशुपालने कयुं, तेम रुक्मी राजाने पण कयुं. तेथी शिशुपाल ने रुक्मी राजा ए बन्ने घणुं सैन्य लइ श्रीकृष्णनी पाल चाव्या. पोतानी पाउल आवता घणा सैन्यने जोइ रुक्मिणी श्रीकृष्णने कथं के, “ हे प्राणनाथ ! आपणी पाठल चतुरंगी सैन्य आवे ने तमे तो वे जया बे, माटे हवे म्हारो अने तमारो नाश यशे तेथी तमे एम पण जाणशो के, श्रा रुक्मिणी म्हारा कुलनो दय करनारी थइ. रुक्मिणीनां वां कायर वचनो सांजली श्रीकृष्णे रुक्मिणीने क के, " हे प्रिये ! तुं जय न पामीश. " एम कही पोतानुं बल देखाडवा माटे एकज बाणथी एक म्होटा वृने तत्काल विंधी नांख्युं. पठी पोताना हाथनी वींटीमां जडेला हीराने अंगुठावडे दबावीने कपूरनी पेठे चूर्ण करी नाखी रुक्मिणीने कधुं के " हे प्रिये ! ए विचारानो म्हारी आगल शो जार बे ?” एटलामां तो श्रीकृष्णे सैन्यसहित रुक्मी राजाने ने शिशुपालने पोतानी पासे श्रवता दीठा. ते वखते बलदेव, शिशुपाल तथा रुक्मी राजाना सामे युद्ध करवा रह्या ने श्रीकृष्णे रुक्मिणीसहित अगल चालवा मांड्यु. रुक्मिणीए बलदेवने कयुं के, " हे बलदेवजी ! म्हारा नाइने जीवितदान देजो. " पी बलदेवे श्रीकृष्णने अने रुक्मिणीने द्वारका नगरीतरफ विदाय क पोते दल मूसली शत्रुनो नाश करवा मांड्यो. रणतूर वागवा लाग्यां ने अनेक सुटो पडवा लाग्याथी भूमि बहु जयंकर देखावा लागी. शिशुपाल बलदेव सामो युद्ध करवा श्राव्यो, तेने बलदेवे मूसल मायुं तेथी ते बगलाना मुखमांथी बुटेला माबलानी पेठे नासी गयो. ते वखते नारद युद्ध जोवा माटे श्राकाशमां बजा रही नृत्य करवा लाग्यो, अने शिशुपालने हसीने कड़ेवा लाग्या के, "हे शिशुपाल ! नासी जानासी जा" पी रुक्मी राजा युद्ध करवा आव्यो. तेथे बलजनी SJ
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy