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________________ ३१७ शीलोपदेशमाला. सर्वे माणसोए अजितसेनने कुटुंबनुं अधिपतिपणुं श्राप्यु. अजितसेने पण बहुकालसुधी गृहस्थधर्म पाख्यो. हवे अरिमर्दन राजाने चारसे नवाणुं प्रधान हता. तेणे पांचसेंमो मोटो. मुख्य प्रधान करवाना हेतुश्री नगरना सर्व माणसोनी परीक्षा करवामाटे प्रश्न पूज्यु के, “ जेणे मने पाटु मारी होय तेने शी शीक्षा करवी ?" सर्वे माणसोए उत्तर थाप्यो के, “तेनो शिरछेद करवो अथवा सर्व दंग श्रापवो.” अजितसेने पण राजानो श्रा प्रश्न पोतानी शीलवती प्रियाने कह्यो; तेथी तेणे कडं के, “जेणे राजाने पाटु मारी होय तेने राजाए पोताना सर्व बाजूषणो श्रापवा जोशए.” अजितसेने कj. “एम केम?" शीलवतीए का के, “ पोतानी स्त्रीविना राजाने बीजु कोण पाटु मारी शके ?” पनी अजितसेने राजाने कयु के, “ श्रापने जेणे पाटु मारी होय तेने आपे पोताना अंगना सर्व बाजूषणो श्रापवा जोश्ए.” अजितसेननां श्रावां वचनथी संतोष पामेला राजाए तेने मुख्य प्रधानपद थाप्यु. ___ एक दिवस अरिमर्दन राजाए ब प्रकार- सैन्य साथे लश् सीमाडाना सिंदरथ राजा उपर चडा करी. महासती शीलवतीना पूबवा उप रथी मनमां चिंता करता एवा अजितसेने तेने कडं के “ हे प्रिये ! जो के तुं उत्तम शीलवाली इं; तो पण तने एकली घरे मूकीने राजानी साथे जवा म्हारं मन उत्साह पामतुं नथी.” शीलवतीए कह्यु. “श्रापे राजकार्य योग्य रीते करवां जोशए अने म्हारा शीलने इंऽपण खंडन करवाने शक्तिवंत नथी; तो पण विश्वासने माटे था पुष्पनी माला तमारा कंठने विषे नाखुंडं के, जे मालाने तमे ज्यांसुधी करमा गएली न दे. खो त्यांसुधी मने अखंडित शीलवती जाणजो." या प्रमाणे कहीने शीलवतीए पोताना गुणोनी मालानी पेठे पुष्पनी माला अजितसेनना कंठने विषे अरोपण करी.अजितसेन पण हर्ष पामीने त्यांथी विदाय थयो. __ हवे अरिमर्दन राजा प्रयाण करतो करतो पुष्पविनाना अरण्यमां श्रावी पहोच्यो. त्यां तेणे अजितसेनना कंठमां प्रफुल्लित पुष्पमाला जोश्ने पूब्यु के, “श्रा पुष्परहित प्रदेशमां तमारा कंठने विषे आवी प्रफुद्धित पुष्पमाला क्याथी ?” अजितसेने पण प्रगट उत्तर प्यो के, " म्हारी प्रियाना शील प्रनावथी म्हारा कंठमां तेणे आरोपण करेली
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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