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________________ २०३ दवदंतीनी कथा. मांथी रेशमी वस्त्रो काढीने पहेरजे तथा आ करंडिकामांथी अलंकारोने लश्ने धारण करजे के, जेथी तुं त्हारा मूल खरूपने पामीश." आ प्रकारे कही अने बन्ने वस्तु श्रापी देवताए नल राजाने फरीथी कडं. " हे वत्स ! हवे तने क्या जवानी श्छा , ते मने कहे ? हुँ तने त्यां तेडी जाउं.” पड़ी “ हे तात! मने सुसुमार नगर प्रत्ये तेडी जा." एवां नल राजानां वचन सांजली देवता तेने दणमात्रमा सुंसुमार नगरनी पासेना उद्यानमां मूकीने अंतर्धान थर गयो. - पड़ी हसता मुखवालो नल जेटलामां नगर तरफ जाय जे तेटलामां तेणे नगरमां यतो म्होटो कोलाहल सांजव्यो. "श्रा शुं हशे ?" एम भ्रांति पामीने ते जेटलामां दणवार उनो रह्यो. तेटलामां तो हाटोने पामता, वृदोने उखेडी नाखता, अनेक वस्तुउँने फेंकी देता अने प्रलय कालना अग्निनी पेठे सर्वमनुष्योने त्रासपमाडता कालना सरखा मदोन्मत्त हाथीने तेणे पोतानासामे थावतो दीगे. प्रजानो संहार करता एवा तेहाथीने थाखान स्तंन प्रत्ये लश् जवाने समर्थ एवा कोश् पुरुषने दीगे नहीं एटले पालथी राजाए उंचा हाथ करीने कडं के, " हे नगरवासी जनो ! जे माणस श्रा हाथीने वश्य करी बालान स्तंज साथे बांधशे; तेने हुं घणी संपत्ति श्रापीश." राजानां श्रावां वचन सांजली जागता पराक्रमवालो नलराजा हाथी सामो दोड्यो. तेने जोश्ने सर्वे नगरवासी लोको बोली उठया के, “अरे कुब्ज ! मरवाने माटे हाथी सामो न जा; कारण ए महा पुष्ट बे; तेथी तने मारी नाखशे.” नलराजा माणसोनां वचन सांजलतो बतो पवनना वेगथी हाथी पासे जश् तेने एक पथ्थर मारीने कहेवा लाग्यो. “अरे - रात्मन् मातंग ! तुं था स्त्रीने तथा बालकोने मार नहीं; कारण के मदनो नाश करवामां सिंहना सरखो पराक्रमी हुँ त्हारी पागल श्रावीने उनो बुं." पड़ी क्रोधथी बांधला थएला, उहत अने चारे तरफ दोडता एवा ते हाथीने नलराजाए पोतानी लघु गतिथी खेलाववा मांड्यो. घणो वखत तेम करवाथी थाकी गएला ते हाथीनी पासे नले पोतार्नु वस्त्र फेंक्यु; तेथी क्रोध पामेलो हाथी वांको वलीने मनुष्यनी ब्रांतिथी ते वस्त्रने पोताना दांतो मारवा लाग्यो एटखे लाघवपणाथी उबली तेनी
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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