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________________ २६६ शीलोपदेशमाला. देशनो राजा वे के, जेना शरीरना मनोहर अवयवोथी जीताएलो कामदेव अंगरहित थयो छे. हे देवी! तेजना स्थानरूप था मगध देशनो राजा विराजे बे. हे सुनगे ! जेना यशरूप ताराना हारो खाका - शमां शोजी रह्या बे एवो था कलिंग देशनो महाराजा बेगे बे. हे राजसुता ! उत्तरोत्तर तेजनी लक्ष्मी थी प्रीतिनीपेठे श्राचरण करता एवा लाट, कर्णाटाने मेदपाट देशना राजा विराजे बे. " जेम पृथ्वी पर उगेला कमलोने जोई तेना उपर राजहंसी आदर न करे तेम ते राजानो दृष्टि पण आदर न करती एवी जीमक सुताने प्रतिहारि ए फरीथी कयुं. " हे देवी! त्हारी आगल श्री देवतानासरखा वैजववालो निषध देशनो राजा विराजे बे. जेना नल ने कूबर नामना ने पुत्र श्रश्विनीकुमारनी पेठे पासे पासेनां सिंहासनो उपर बेठा बे. ” पछी राजार्जरूप वनमां जमती दवदंतीनी दृष्टीरूप जमरी पुन्नागरूप नलकुमारने विषे विराम पामी एटले जेने रोमांच थयो बे एवी ते विचार करवा लागी के, “ जेम वृक्षोने विषे कल्पवृक्ष वखाणवायोग्य " ते सर्व राजा मां या नल एकज वखाणवायोग्य बे. विधाताए सृष्टीने बनाववारूप पोतानी चातुरीथी या नलने उत्पन्न कस्यो बे. वली सर्वे राजार्जमां या नल माणिक्यमां कौस्तुनमणिनी पेठे शोने बे. " प्रमाणे नलने वखाणती एवी ते दवदंतीए तेना ( नलना ) कंठने विषे वरमाला रोपण करी के, “ जेथी ते वरमाला मेरु पर्वतने विषे तारार्जुनी पंक्तिनीपेठे अत्यंत शोजवा लागी. दवदंती नलने वरी एटले तेने विषे स्पर्धावाला बीजा सर्वे राजा नलउपर चढी श्राव्या; पणजेम मंगलनो ग्रह वृष्टीने स्तंजावी दे तेम नले सर्वे राजाने बाण वृष्टिथी संजावी दीधा. नले सर्वे नूपतिर्जने पराजय पमाड्या एटले परस्पर प्रीतिवाला एवा निषेध ने जीमक राजाए नल तथा दवदंतीनो विवाहमहोत्सव कस्यो. हस्तमेलापना वखते नल छाने दवदंतीनुं चित्त परसेवाना मिषथी जाणे एकपणुं पामतुं होय नहिं शुं ? एम परस्पर मली गयुं. अनिने प्रदक्षिणा करया पढी हस्तमेलापने वखते जीमक राजा पोताना जमाने अनेक रत्न, घोडा, हाथी अने रथो श्राप्या. पी पुत्रने तथा वहुने साथे लई पोताना देशप्रत्ये जता एवा निषध
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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