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________________ २४० शीलोपदेशमाला. "" लावुं. जेथी करीने स्त्रीउनी कीर्ति श्रा लोकमां सूर्य चंद्र रहे त्यांसुधी स्थिर थाने परलोकमां कल्याणना स्थानरूप मोक्ष पण प्राप्त थाय. मेघथी लताना अंकुरोनी पेठे शीलवतना प्रजावथी या जवने विषे उतम कुलनी स्त्रीजना सर्व मनोरथ सिद्ध थाय बे. राजाउने परलोकमां या संसारसंबंधी दुःख दुर्गतिनां खनेक संकटो घणाकाल सुधी सहन करवां पडे बे; माटे तुं वज्रना सरखी दृढ थइने परंपराधी मुक्तिने श्रापनारा सम्यक्त्व व्रतने पाल्य. यावां प्रवर्तिनां वचन सांजली उल्लास पाम्या रोमराय जेना एवी रतिसुंरीए घणा हर्षथी नियमने अंगीकार कस्यो. दवे नरकेसरी राजाए पोताना कंश कार्यने अर्थे मोकलेलो दूत चंद्रराजाना नंदन नगरमा गयो. त्यां देशना समाचार कड़ेवाने वखते चंद्रराजाए दूतना मूखथी रतिसुंदरीना उत्तम रूपनी वात सांजली एटले अनुराग कामित यएला तेणे रतिसुंदरीनुं मागं करवा माटे पोताना प्रधानने नरकेसरी राजापासे मोकल्यो. नरकेसरी राजाए पण योग्य संबंध मानी जेम ददे पोतानी पुत्री रोहिणीनो संबंध चंद्रनी साथे करयो हतो तेम रतिसुंदरीनो संबंध चंद्रराजा साथे कस्यो पढी शुभ दिवसे महासमृद्धिसहित तेणे रतिसुंदरीने महासंपत्तिवाला नंदनपुरमां मोकली; त्यां ते लक्ष्मी जेम कृष्णने वरी हती तेम चंद्रराजाने वरी. उत्तम मुहूर्त्तमां तेन धन्य विवाद थये बते मनोहर एवा नंदनपुरमां अत्यंत आनंद श्रपनारो महोत्सव थयो. नगरवासी जनो पण रतिसुंदरीना खरूपने जो आश्चर्यथी कड़ेवा लाग्या के, “शुं या कोइ देवी, विद्याधरी के नागकन्या बे ? " यावी ज्योत्स्नारूप प्रियाथी अलंकृत थलो त्रियरूप नक्षत्रोनो नायक चंद्रराजा सर्व थकी अधिक शोजवा लाग्यो. - एक दिवस कुरुदेशना बलवंत महेंद्र सिंह राजाए सिंह जेम सिंह उपर संदेशो मोकले तेम चंद्रराजाने दूत मोकलीने कड़ेवराव्यं के, " हे देव ! सूर्यनी साथे कमलोनी पेठे तमारी साथै श्रमारी प्रीति घणा कालयी चालती श्रावेली बे. जे पुत्रो पोताना पूर्वजोए मेलवेला महिमा - ना स्थानरूप संबंधने लोपता नथी तेज पुत्रोने कुलनो उद्योत करनारा जाणवा. वली अखंड रीते सौजन्यपणुं धारण करता एवा तमारे पोतानुं कार्य निश्चय माराचीज साधवा योग्य बे. वधारे शुं कहीए ? परंतु
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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