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________________ सुनशनी कथा. २९३ विशेषार्थ-सूतरना तांतणाथी बांधेली चालणीए करीने कूवामांथी पाणी काढी, चंपा नगरीना दरवाजा उघाडवाथी संघना मुखने प्रकाशित करनारी अर्थात् जिनशासननी प्रनावना करनारी जिनदत्त शेउनी पुत्री सुनसा दीर्घायुष्यवाली था. ॥ ५॥ ॥सुनजानी कथा ॥ जेमां पुण्यना अंकूरसरखी जैनमंदिरोनी पंक्ति शोजी रही हती एवं श्रा जरतक्षेत्रने विषे पृथ्वीना श्रानूषणरुप वसंतपुर नामर्नु नगर बे. त्यां कामदेवना सरखो रूपवंत जितशत्रु नामनो राजा राज्य करतो हतो. ते नगरमां प्रसिद्ध वैनववालो अने जेना गुणो सर्व को मनुष्योना हृदयमा हारनी पेठे क्रीमा करता हता एवो जिनदास नामनो श्रावक वसतो हतो. तेने जैनधर्ममां प्रीतिवाली, तत्वनी मालारूप अने शीलवतथी सुशोजित एवी जिनमति नामे स्त्री हती. तेउने प्रादनासरखी मधुर वाणीवाली अने जेनी स्पर्धा करवाथी समुज्ने पण खारु थर जवु पड्यु ! एवी सुनना नामनी पुत्री हती. राजहंसो जेम कमलीनीनो श्राश्रय करे तेम धर्मगुणोथी श्राश्रय करायेली ते सुनमा अनुक्रमे युवान पुरुषोना मनने मोह पमाडनारी युवावस्था पामी. पड़ी केटलाक युवावस्थावाला पुरुषोए तेनुं मागु कडं पण ते सर्वेने मिथ्यादृष्टि जाणीने जिनदास शेठे कागडाऊने जेम खीर न थापे तेम तेउमाथी एकने पण पोतानी पुत्री थापी नहीं. __को वखते चंपा नगरीथी बौद्धधर्ममां कुशल एवो बुझदास नामनो वणिक् ते नगरमा वेपारने माटे श्राव्यो. बीजे दिवस ते कंश कार्य प्रसंगे जिनदासना घेर थाव्यो. त्यां तेणे सुशोजित अलंकारोवाली सुनप्राने दीठी. पड़ी विवाहनो अर्थि ते बुझ्दास, बीजा माणसो पासेथी तेना विवाहनी वात सांजली रत्ननो अर्थि जेम समुन्ना तीरनुं सेवन करे तेम दंनथी साधुउनु सेवन करवा लाग्यो. पड़ी श्रद्धा विना पण साधुठनी सेवा करतो एवो ते बुद्धदास, साधुऊना संगथी जेम चंपाना संसर्गथी तिलवृद सुगंधवालां थाय तेम बोधिबीज पाम्यो. पड़ी तो ते जिनेश्वर प्रजु, पूजन, वंदन अने स्तवन विगेरे करवा लाग्यो. कह्यु डे के-रत्नने पामेलो कयो पुरुष प्रमाद करे ? पड़ी तेना विनयादि गु
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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