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________________ शीलोपदेशमाला. न् ! निरंतर श्रापना प्रसादरूप कल्पवृदनी बायानो आश्रय करी र. हेला अमे जमराऊनी पेठे छितफलना वादने पामीए बीए.” लोकोनां आवां वचन सांजली जैनधर्ममां श्रादरवाली थएली अने कर्मना मर्मने जाणनारी गुणसुंदरीए जाणे लोकोना वचननो तिरस्कार करती होयनी! एम पोतानुं मस्तक धूणाव्यु. पनी राजाए पोतानी पुत्रीने तेम करवानुं कारण पूज्युं एटले गुणसुंदरीए स्पष्ट कर्वा के “ शुजाशुन फलनी प्राप्तिमां जाव कर्म एज मुख्य कारण . बीजानुं शुं प्रयोजन ? फक्त एक लदमीज दीर्घकालपर्यंत जीवो के, जेना प्रसादथी सर्वे माणसो धनवंत पुरुषनी पासे मी मी बोले .” पुत्रीनां श्रावां वचनथी श्रत्यंत कोप पामेला राजाए व्रकुटी चडावीने तेने कयु के “ तुं कोना प्रसादश्री श्रावं अखंमित सुख जोगवे ने ?” पुत्रीए कह्यु, “ हे तात! था सर्वे माणसो पोतपोताना करेला कर्मनुं फल जोगवे , बीजाउँ तो केवल निमित्तमात्र . __ पढी राजाए, पोताना खोलामांथी पुत्रीने उतारी मूकी सर्व बाजरपादिक पण कढावी नांखीने तेने जूनां वस्त्रो पहेराव्यां. बेवट पोताना सेवको पासे कोई एक जीर्णवस्त्रने धारण करनारा, रोगी अने पुर्बल अंगवाला कठीयाराने बोलावीने तेनी साथे ते पोतानी पुत्रीने परणावी दीधी; अने कयु के “ जा, तुं त्हारा कर्मनां अने जीजनां फल जोगव." वली तेणे पोताना सेवकोने पण कडं के " जे माणस श्रा म्हारी पुत्रीनी पाउल जशे, ते निश्चे म्हारो शत्रु बे," आम नूपतिए पोतानी पुत्रीने श्रावी स्थितिए पोहोचाडी एटले “ हे महाराज ! अविनीत एवा पण बालकने विषे माता पिताए कोप करवो नहि जोश्ए. शुं स्तनपान करतो बालक पोतानी माताना स्तनने खेंचवाथी वध करवा योग्य थाय ?" श्रावी रीते अंतःपुरना मंत्री ए राजाने बहु विनती करी, पण सर्पनी पेठे अत्यंत कोपायमान थएला ते राजाए कोश्नु कहेवं मान्युं नहीं. - पनी प्रफुलित मुखकमलवाली गुणसुंदरी “ पण म्हारा पुण्यकर्मने जोगवीश" एम कहीने पोताना आत्माने धन्य मानती ती कागडानी पाबल राजहंसीनी पेठे कठीयारानी पाउल पाउल तेना जूना घर प्रत्ये गश्. त्यां ए राजपुत्रीए पोताना पतिने आसन थापी तेना उपर बेसा
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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