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________________ १२२ शीलोपदेशमाला. बलजड़ एवं नाम पाड्यं पठी महाबल राजाए अनुक्रमे युवावस्थाने पामेला ने शस्त्र तथा शास्त्र विगेरे सर्व कलानो अभ्यास करेला ते महापराक्रमी बलजने युवराजपदे स्थाप्यो बलजड पण सावधान पाथी राज्य कार्य करवा लाग्यो; तेथी महाबल पोताने कृतार्थ मानी जिन धर्म पाल वामां सावधान थयो. वली दान, तप, शील, जावना अने जिनशासननी उन्नति इत्यादि धर्म कार्यथी तेणे पोतानो जन्म सफल करयो. 66 एक दिवसे विमयी चांति पामेला जड माणसोए सेवन करेला कोइ पाखंडी पुरुषने जोइ महाबल विचार करवा लाग्यो के, ' शुभ शु फलवाला कर्मने जाणनारा मुनिर्जनेज धन्य बे; कारण के ते पुरुषो पोते संसार समुद्र तरे बे ने बीजाने तारे बे. वली खोटा मंत्र तंत्र विगरेना गीत गानारा पाखंडी पुरुषोने धिक्कार बे; कारण के जे पुरुषो मृगनी पेठे जवरूप पासने विषे मूढ जीवोने बांधे बे.” इत्यादि संसारमा वैराग्यना कारणभूत विचार करीने, शुद्ध धर्मने विषे राखी बे बुद्धि जेणे एवा ते महाबल राजाए बलन ने राज्य सोंपी पोते चारित्र ग्रहण करवानी हाथी श्रीवरधर्म गुरुपासे जश्ने चडतां परिणामथी पोताना व मित्रोसहित दीक्षा लीधी. पढी संसारना जयनी सामे सुनट सरखा ते साते मुनियो आठ कर्मने जीतवानी इछाथी चारित्र पालवा लाग्या. मोक्ष लक्ष्मीनी इछावाला ते मुनिए सर्वतो जय ने सिंहनिक्रिडितादिक तपे करीने कर्मनो दय कस्यो. उत्तम फलनी इछावाला महाबल मुनि तो तपने अंते पण रोगना दंनथी एटले मने रोग थयो बे, एवा मीषथी पारणं पण करता नहीं; तेथी ते महाबलमुनिए उत्तम तप करता मायावडे करीने स्त्री नाम गोत्र बांध्यं. तेमणे विश स्थानक इत्यादि अरिहंतनी नक्ति विगेरे करीने तीर्थंकर नाम कर्म उपार्जन क. पढी चोराशी लाख पूर्वनी श्रायुष्यवाला ते साते मुनियो वनशन व्रत ग्रहण करी वैजयंत नामना अनुत्तर वैमानमां तेत्रीश सागरोपम आयुष्यवाला देवता थया. हवे जंबूद्वीपना जरतक्षेत्रमां दक्षिण दिशाए विदेह देशमां जेनी समृद्धि जोने स्वर्गमां रहेनारी देवांगना पण शीथल थर जाय बे
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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