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________________ नेमिनाथना नवनवनी कथा. १०ए साथे बगीचामां विहार करता कृष्णना पुत्र प्रद्युम्न तथा सांब विगेरेने जोश्ने समुष विजय राजाए अने शिवादेवीये युवावस्थामां श्रावेला पोताना पुत्र नेमिनाथने कह्यु के, “ हे विश्वमा एक वहाला पुत्र ! पुत्रवाला माणसोमां अमे तमारारूप पुत्रनी उत्तम रेखाने धारण करीए बीए; पण यौवन अवस्थामा प्राप्त थयेला तमे विवाद करता नथी; तेथी बीजाऊना पुत्रोनी वहु जोश्ने श्रमारा मन बहु कुःखाय बे. जगतमा विधिये तमारे विषे सर्व संबंध निर्माण कस्यो बे; तो पण जुद्ध के माणिक्य सोनाने मल्याविना शोनतुं नथी”. वली वहुने जोवा 7साद पामेली शिवादेवीये कह्यु के, “ हे पुत्र ! पृथ्वीमा जे स्त्रीयोनां मुख आगल कहेला कामने करनारी, उत्तम घरेणांने धारण करनारी अने नेत्रने अमृतना पारणा सरखी वहु फरे बे; तेज स्त्रीयोने हुँ धन्य मानुं बु.” एवां माता पितानां वचन सांजलीने अने तेमने नमस्कार करीने नेमिनाथे मधुर वाणीथी कडं. “हुँ दुःखना परिणामजूत कन्याने परणवाथी उत्साह पामतो नथी. ज्यारे हुं चतुर श्रने हितकारी स्त्रीने देखीश त्यारे परणीश; माटे तमारे ते बाबत खेद करवो नहीं. कारण के पुःखनी वेल सरखी दारुण स्त्रीने परणवाथी कष्टना पात्ररूप थवाय बे. “ एम कहीने तेमणे सरल मनवाला ते मात पिताने बोध पमाडयो. कयु डे के-तत्वने विषे दृष्टिवाला मनुष्यो खपरनेदने स्वीकारता नथी. हवे यशोमतिनो जीव अपराजीत देवलोकथी चवीने उग्रसेननी स्त्री धारणीने विषे पुत्री पणाये उत्पन्न थयो. माता पिताए तेनुं राजीमती नाम पाड्यु. पड़ी तेराजीमती शाश्वत रसना आश्रयवाली वेलनी पेठे व. धवा लागी. चंनी लेखानी पेठे पृथ्वी उपर सर्वने हर्ष पमाडती श्रने सर्व कलानो श्रन्यास करती ते अनुक्रमे यौवनावस्थामां आवी पहोंची. एक दिवसे कुमारोथी विंटलायेला नेमि कुमारे कृष्णनी श्रायुद्धशालामां " जाणे बीजो कृष्ण होय नहीं शुं ? तेम प्रवेश कयो, अने धनुष्य, खड्ग, चक्र, विगेरे आयुधोने जोश्ने पड़ी एकदृष्टिथी शंखने जोवा लाग्या. पडी शंखने ग्रहण करवानी श्वा करतां नेमिनाथने रक्षण करनाराए नमस्कार करीने कां के, “ हे प्रनु ! सांजलो, था पांचजन्य शंखने ग्रहण करवाने एक कृष्ण समर्थ बे, बीजो कोश नथी. तो वगा.
SR No.023404
Book TitleShilopadesh Mala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Kalidas Shastri
PublisherJain Vidyashala
Publication Year1900
Total Pages456
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati & Book_Devnagari
File Size15 MB
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