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मन्तक्लमाक्या
षोपि |४|३|८६॥
३०४
ध्वक्षरा सखीदुत्वाचामेम २/१११६०॥ ५४७
- २९९
२६०
શ
रुखः ॥४|४|१०४ ॥
कलावा तशर्धातपाजहाकः | ५|१|१२५ ||
दः | ६|४|६॥
| १|३|६५॥ देस्य
२१।११३ ॥
तोsनापः | २|१|१०७॥ बहुलं पुष्पमूले |६|२|५७॥
ष्यवृल्लेत् | ७|४|११२॥ चेर्विमोहाचें ||४|४४ ॥
तुः |७|१|१२३॥
कृषिय्युतादिपुष्यादेः परस्मै | ३|४|६४||
लोकसर्वलोकज्ज्ञाते |६|४|१५७५
लोकात् | १|१३||
लोसपिच्छादेः शेलम् | ७|२|२८||
२२
प्रवे
३४
३५९
५७६
२७१
४४०
३९८
४२८
वंशज्यायो भ्रात्रोर्जीवति प्रपौत्राय स्त्रीसुवा ६।११३ ॥ ३३६ को शब्दनाम्नि | ४॥१॥११९ ॥ बञ्चसंसध्वंस भ्रंश कसपतपद स्कोन्दोऽन्तोनीः ४ ॥१॥ ५० ॥ २९४
२३९