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________________ ॥ द्वादशमुद्धरणम् ॥ १. कवि अने तेनो समयः काहना दोहाकोशमाथी केटलांक गीतो उधृत करी प्रस्तुत उद्ध. रणमा लेवामां आव्यां छे. काहना दोहाकोशनी वाचनानो आधार अमे बे आवृत्तिो उपर राख्यो छे (१) महामहोपाध्याय हरप्रसाद शास्त्री सम्पादित "बौद्धगान ओ दोहा " जेमा काण्ह अने सरहना दोहाकोश आपवामां भावेला छे; अने (२) M. Shahidulla: Le Chants Mystiques de Kanha et de Saraha जेमां पण काण्ड अने सरहना दोहाकोश आपवामा भावेला छे. आ उद्धरणनी विशिष्टता ए छे जे प्रस्तुत गीत पूर्व हिन्दुस्तान -बङ्गाळ अने आसाम-बाजुथी मळे छे. . काण्हना समयनी चर्चाने माटे आपणी पासे त्रण साधन छे:-(.) गौद्ध गान ओ दोहानी अंग्रेजी तेम ज बंगाळी प्रस्तावना.(२) डो. सुनीतिकुमार चेटरजी: The Origin and Development of Bengali Language: Introduction P. 120-123. (३) डो. शहिदुग्लानी Le Chants Mystiquesaft Introduction ( Chapitre II Les Auteurs des Dohakosa ). आ प्रण लखाणोने नीचेनी चर्चामां प्रमाण तरीके लेवामा आव्या छे. गोपीचन्दराजाना वैराग्यना भने मत्स्येन्द्रनाथ गोरखनाथ भने भर्तृहरिना गीत गाता, रखडता भरथरीओने आपणे घणीवार सांभळीए छीए. ए गवाती भास्यायिकाओ नाथसम्प्रदायनी छे. ते सम्प्रदायमां मुख्य ८४ सिद्ध छे. एक वार नाथसम्प्रदाय, पजाब, टीबेट, बङ्गाळ भने लगभग आखा उत्तर हिन्दुस्तानमा प्रसरेलो हतो. काण्ह के काहपा (=कृष्णपाद) ए गोरखनाथ, मत्स्येन्द्रनाथ अने गोपीचन्द्र राजानो समकालीन हतो तथा टीबेटन भने हिन्दी परम्परा प्रमाणे, ८४ सिद्धानो से एक हतो. काह जालंधरिनो शिष्य हतो. गोपीचन्दनी माता मेनावती पण जालंधरिनी शिष्या हती. गोपीचन्दने जालं. धरि खरो योगी छे तेनी प्रतीति थाय छे अने ते राजवैभव छोडी योगी बने छे, ए आख्यायिका सर्वविदित छे. डो. शहिदुल्लाना अभिप्राये मत्स्येन्द्रनाथ इ. स. ६५७ मा नरेन्द्रदेवना राज्यमां थई गयो. गोपीचन्द्र के गोविचन्द्र
SR No.023391
Book TitleApbhramsa Pathavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Chimanlal Modi
PublisherGujarat Varnacular Society
Publication Year1935
Total Pages386
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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