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सप्तकनी घटना करेली छे. आ सावे य यतका कुल
७४७ = ४९ तान थई शके. . २६३. ससिणेसर-शशीश्वराः एटले चंद्र भने सूर्य. शशि+इन+श्वर एम पण विश्लष थई शके. - २००. (प.) मा संघहि धणुगुणि सरु. धनुषनी पणछ पर बाण पडावीश नहि. मूळनो पाठ खोटो छे माटे त्यजवो. मूळनी संस्कृतछाया पण सोटी छे.
२७१. (प.) वडु ने वदले वढ. ... २७४. तमे पण ए अभिमानी राजानी आज सेवा करी रया छो ज्या सुधी युद्धमा ते मरायो नथी.
२७५. (प.) गेहिणी, रोहिणीने स्थळे
२०८. (प.) विचंते, शर वींधतानी साथे. वृद्धत्वेन एम छाया आपी छे ते खोटी छे.
२८१. वसुदेवे पोताना नामथी अङ्कित बाण फेंक्यु. २८२. सउरीणाह-शौरिनाथ, समुद्रषिजय. २८३. (प०) बाहजलोल्लिय वाचना सारी छे.
२८५. (५०) सइ, सयने बदले. ( प० ) नो पाठ सप्तमी बरोबर बतावे छे.
२८७. कोडिसह-कोटीश्वर, करोडोनो अधिपति.
२९८. सरखावो च्युत्वा कल्पान्महाशुक्रान्महासामानिकः सुरा । गर्भऽभूदिह रोहिण्या धरण्या इव सन्मणिः ॥ ह. पु. २२. ७. मूळनो अर्थः-शंख नामे ऋषि जे हतो ते महाशुक्र नामना कल्पस्वर्गनो शशिमुख नामे देव थई त्यांथी च्यवी रोहिणीना पुत्र भरतक्षेत्रना राबाओना पूज्य नवमा रामारूपे उत्पन्न थयो. पुष्पदंत( नवमा तीर्थकर )ना तेजमाथी तेणे पोतान तेज मेव्यु. .. ३... कविनी नाममुद्रा छे.
॥ षष्ठमुद्धरणम् ॥ १. कवि अने तेनुं जीवनः
.. प्रस्तुत उद्धरण धनपाल कविना भविसयत्तकहा नामे अपभ्रंश काव्यमांधी लेवामां भाव्यु के. भ. क. १२ संघिन काव्य, मानो भाखो