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________________ ३. छंदोरचनाः आ उद्धरणयां २३ कुडलक छे. कडबकनी पंक्तिसंख्या निर्णीत नथी. आदिमा आखा कडवक- एक ध्रुवक छे. दरेक कड़वकने अन्ते घचा छे. घत्ता अने ध्रुवक ११+१२=२३ मात्रानी बे पंक्तिनां छे. छ. शा. ६. पत्र ४० (अ)मां आ छंदने अरविन्दक कयो छः ओजे एकादश समे द्वादश अरविन्दकम्। यथा, प्रिअहि मुहु अरविंदु चलनयण इंदिदि दंतकंति केसरउ लच्छिविलासह मंदिरु ॥ कडवक ५ मां भुजंगप्रयात छंद छे. ते गणवृत्त छे. य गण (~--) नी चार फेरो आवृत्ति थतां एक चरण बने छे. जुओ प्रा. पिं० पान. ४४०:धओ चामरो रूअओ सेस सारो ठए कंठए मुद्धए जत्थ हारो घउच्छंद किज्जे तहा सुद्धदेहं भुअंगापआरं पए वीसरेहं ॥ ध्वज (~-) + चामर (-) = --- ने चार वार पुनरावृत्त करी एक पादमां वीस मात्रा करीए तो जेम हार कंठे बेसे छे तेको हे मुग्थे भुजंगप्रयात थाय. ___कडवक १०मां सखलित छंद छे; ते गणवृत्त छे. छ. शा. २. पत्र १० (अ) भ्जस्नाद्गौ स्खलितम् । भ (- -) ज (~- ) (~~-) न (~-~) परौ मौ (--) यथा, . पुष्पशर रम्यतनुता सलवणत्वं वाङमधुरता चतुरता बहुकलत्वम् । सर्वमपि चास्य सुभगस्य रतये मे केवलमिदं व्यथयति स्खलितगोत्रम् ॥ महिता कांता वनमयूरश्चेत्यन्ये ।। चरणनो छेल्लो हस्व दीर्घ तरीके ज गणाय छे एटले प्रस्तुत कडवकना चरणोना इस्वने दीर्घ तरीके गणवामां बाध नथी. सामान्य रीते गणवृत्तमां पास प्राकृतमा एक गुजे प्रदले बे लघु मकवानी पद्धति छे. आने लीधे केटलीक भनियमितता कडवक १० नी इंदोरचनामां आवी छे. बाकीनां कुजवकमां चगणचतुष्क एटले १६ मात्रानो पज्झड़िआ छे, जेनुं विवेचन प्रथम उद्धरणमां करेलुं छे. . प्रस्तुत उद्धरण छपाया प्रछी डॉ. पी. एल. वैये पोतानी प्रेस कोप्री साथे सरखावी, जे खास स्थळे तेमनी कोपीमांथी पाठान्तर आपां ठीक जणानां, ते स्थळे ते नोंधी मोकली आपवा कृपा करी इती. तेमनां पाठान्तर टिप्पणमां (प.) तरीके नोभ्यां छे.
SR No.023391
Book TitleApbhramsa Pathavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Chimanlal Modi
PublisherGujarat Varnacular Society
Publication Year1935
Total Pages386
LanguageApbhramsa
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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