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१२५. सव्वण्ह परखावो सदर उद्धरण पं. ११५. अर्वाचीन हीदीमा दिन्हा < प्रा. दिन.
१९९. केवलवरलोयण-कैवल्य ए ज जेर्नु उत्तम नेत्र छे, अथवा कैवल्य तरफ ज जेर्नु उत्तम नेत्र छे ते,
१३५-१४१. टाक्की भाषा, कडवू. चर्चा माटे भा उद्धरणनी प्रस्तावना जुओ. आखा कडवकमां यादवोनां नामो गणाम्यां छे. केटलांक नामो बीजा प्रन्योमाथी शोषी कढातां नथी. केटलांक नामो ह. पु. ५०.११३-१३३ अने त्रि. श. पु. ( हेमचन्द्र ) मां मळे छे.
१३७. जउणसिदस्स दिवायणस्स यमुनामा रहेला द्वैपायनने; जैन. परंपरा द्वैपायनने यादवोमां गणे छे. कुसुमसर-प्रद्युम्न; अने तेनो पुत्र ते अनिरुद्ध.
१४३. सस्स-श्वास, प्राणायम; शश्वत् ए छाया प्रमाणे 'सतत. '
१४४. मात्राभंग तेव त्यजी निवारी शकाय, जिहं यत्र अर्थ करवो पडे. संस्कृतछायामां सुधारो करवो.
१४६. णाहि नेमिनाथने. आ हेलामा २१ मात्रा छे; ज्यारे आवश्यक छे २२ मात्रा.
१४७. रोहिणी अने दशाई ( =यादवो ) नो लघु भ्राता वसुदेव - ते बन्नेनो पुत्र बलदेव. दश दशाहों:-समुद्दविजयो अक्खोभो थिमिओ सागरो हिमपं । अयलो धरणो पूरणो अभिचंदो वसुदेवो त्ति ॥ __ १५२. जिण सत्येण हे जिनदेव शस्त्रथी द्वारिकानो विनाश ज नथी थवानो, सत्थ-शस्त्र, शास्र, सार्थ, शस्तृ एम अनेक संस्कृत शब्दो- ते प्राकृतरूप थाय छे. उपरनो अर्थ योग्य लागवायी स्वीकार्यों छे.
१५५. दारहो अने दारहोनो अन्त्ययमक.
१५६-१५७. घत्तानी प्रथम पंकिमां पूरी २२ मात्रा छे; ज्यारे बीजी पंकिमां बे मात्रा खूटे छे.
१५८-१५९ हेला २२ मात्रानी छे. बीजी पंक्तिनो छेल्लो अक्षर हाथप्रतमां नथी.
१६७. पासहो-मारफते-through ना अर्थमा