________________
उद्धरणवस्तु:
आ उद्धरणमां सीतानी अग्निपरीक्षानु कथानक कहेवामां आवेलुं छे. वाल्मीकिना कथानकमां अने आमां फेर छे. लव=अनंगलवण अने कुश-मदनांकुश. आ बन्नेनो पुरमा प्रवेश थाय छे अने ते वखते तेमने आवकार मळे छे. (१) रामपुत्रोना प्रवेश वखते रामना सामंतो, खंडीआ राजाओ, मित्रराजाओ, योद्धाओ, वानरवीरो बधा य त्यां आवे छे. बधानो अभिप्राय एम छे के लोकोना नादने राजी करवा सीतानी कांइक परीक्षा करवी. (२) राम कहे छे के "सीतार्नु सतीत्व अने पवित्रता हुं जाणुं छु पण सीता उपर आवी अपकीर्ति नगरजनो नाखे छे ते ज हुँ जाणतो न हतो.” (३) ते वेळा विभीषणे त्रिजटाने बोलावी; अने हनुमाने पोतानी पत्नी लंकासुंदरीने बोलावी, तेमणे रामने वीनव्या अने कयु के सूरज पूर्वनो पश्चिम ऊगे, तो ज सीताना सतीत्व पर कलंक लावी शकाय; छतां य जो विश्वास न पडतो होय तो तुला, मंत्रेला चोखा, झेर , जळ अने अग्नि एमांना एकथी सीतानी परीक्षा करो. " (४)आ सांभळी रामे सुग्रीव, विभीषण, अंगद,चन्द्रोदरना पुत्र विराधि, अने पवनपुत्र हनुमानने पुष्पक विमानमां पुंडरीक नगरे मोकल्या. एमणे सोताने अभिनंदन आपी विमानमां बेसी राम पासे आववा अरज करी. (५) सीता गद्गद स्वरे विभीषण प्रति बोल्यां के "मारा आगळ गमर्नु नाम न लेशो कारण के तेमणे मने भयंकर वनमां मोकली दइ, मारा हृदयमां भयंकर अग्नि चेताव्यो छे ते एम होलवाय एम नथी. (६) छतां य राम माटे नहि परन्तु तमारो इच्छाने मान आपी हुं आई छु.” एम बोली सीता पुष्पक विमाने चडी, अने सवारे कौशलनगरी अयोध्यामां आवी पहोंची. (७) सीताने जोइ रामे तेनी अवलेहना करी के “सामान्य रीते स्त्रीओ निर्लज्ज होय छे; आवी स्थितिमा ते पोताना भरथार- मुख जोतां केम लज्जा पामती नथी ? " सीताने पोताना सतीत्वनी खातरी होवाथी बीधी नहि अने गद्गद शब्दे जवाब वाळयो " गुणवान माणसो पण स्त्रीनो विश्वास करवानी बात आवे छे त्यारे हलकाश बतावे छे.” (८) अनेक दृष्टांतो आपी सीता नर-नारी वच्चेनुं अंतर बताववा यत्न करे छे अने अग्निपरीक्षा स्वीकारे छे. (९) सीतार्नु वचन सांभळी बधा जनोने अने रामना योद्धा अने सहायकोने हर्ष थाय छे. (१०) सीताना बोलने अनुसरी खोदनारा बोलावी रामे खाडो खोदाव्यो; अने खड, लाकडां, चंदन, देवदार, कपूर इत्यादिथी ते खाडो पूर्यो अने चारे बाजुए सोनाना मांचडा बेठक माटे गोठव्या; देवो पण आ दृश्य जोवा आव्या. सीता लाकडांना पुंज पर चडी अने एने वैश्वानरने