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________________ ( १ ) क, ग, ट, जब किसी संयोग के है। और अनादि में जैसे: ---- भुत्तं सित्थं भत्तं मुन्तं दुद्धं मुद्धं प्राकृत प्राकृत व्याकरण तृतीय अध्याय ड, त, द, प, श, ष और सव्यञ्जन वर्ण प्रथम अक्षर हों तो उनका लुक हो जाता वर्तमान शेष वणों का द्वित्व होता है । उप्पलं उप्पा मुग्गो मुग्गरो मग्गू [ कलुकू [ कलुकू [ कलुकू [ कलुकू [गलुक् [गलुक् सिणिद्धो [गलुक् सप्प [ टलुकू खग्गो [ डलुकू सज्जो ; [ तलुकू [ दलुकू ; ; ; ; ; ; ; [ डलुकू ; [ तलुकू ; ; [ दलुकू ; [ दलुकू ; संस्कृत तद्वित्व ] द्वित्व ] द्वित्व ] द्वित्व ] धद्वित्व 1 धद्वित्व ] द्वित्व ] पद्वित्व ] गद्वित्व ] जद्वित्व ] पद्वित्व ] पद्वित्व ] गद्वित्व ] द्वित्व ] गद्वित्व ] भुक्तम् सिक्थम् भक्तम् मुक्तम् दुग्धम् मुग्धम् स्निग्धम् षट्पदः खड्गः षड्ज : उत्पलम् उत्पातः मुद्गः मुद्गरः मद्गुः
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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