SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रथम अध्याय प्राकृत कासं, कंसं सीहो, सिंघो पासू, पंसू (ख) द्वितीय स्वर के आगे अनुस्वार का लुकू — प्राकृत संस्कृत कह, कह एव, एवं कथम् एवम् नूरण, नू नूनम् (ग) तृतीय स्वर के आगे अनुस्वार का लुकू — संस्कृत प्राकृत आणि, इणि समुह, संमुहं केसु, किंसु प्राकृत पङ्को, पंको सो संखो संस्कृत कांसम् सिंहः पांसुः (शुः ) अङ्गणं, अंगणं लवणं, लंघणं 5 (३७) वर्गों' का यदि कोई अक्षर पर में हो तो पूर्व के अनुस्वार के स्थान में पर अक्षर के वर्ग का पश्चिम अक्षर विकल्प से होता है । क, ख, ग, घ के पर में जैसे > च, छ, ज, झ के पर में जैसे इदानीम् सम्मुखम् किंशुकम् १५ संस्कृत पङ्कः शङ्खः अङ्गनम् लङ्घनम्
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy