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प्राकृत व्याकरण
भा
गेण्ड
शीङ
सुआ
रुध
थुण
थुणदि
भादि पस
पसदि चव्व
चव्वदि
गेण्डदि गेझ, घेप्प गेज्मदि, घेप्पदि शक सक्कुण, सक्क सक्कुणादि, सक्काद मिआअ
मिआअदि उद्+स्था उत्थ
उत्थेदि स्वप सुअ
सुअदि
सुआदि रोव
रोवदि रोददि
बुडदि दुध दुहीअ
दुहीअदि उह्य वहीअ
वहीअदि लिह्य लिहीअ लिहीअदि
प्राकृतसर्वस्व के अनुसार नीचे लिखे शब्दों को भी शौरसेनी में जानना चाहिये।
भिफ्फो ( भीष्मः), सत्तग्यो ( शत्रुघ्नः ), जेत्तिकं ( यावत् ', तेत्तिकं ( तावत् ), एत्तिकं ( एतावत् ), भट्टा । भर्ता) धूदा, दुहिदिआ (दुहिता), इत्थी (स्त्री), भादा, भदुओ (भ्राता, भ्रातरः), जामादा, जामादुओ (जामाता, जामातरः)।
द्राक् अर्थ में दउत्ति, निश्चय अर्थ में क्खु और खुः इव के अर्थ में व्व एव के अर्थ में जव और जेव तथा ननु के अर्थ में णं प्रयुक्त होते हैं।
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महज