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________________ - चतुर्थ अध्याय एकवचन पञ्चमी अमूओ, अमूड इत्यादि षष्ठी अमुणो, अमुस्स सप्तमी अमुम्म, अम्मि, अम्मि बहुवचन अमूहिंतो इत्यादि विशेष – (क) हेमचन्द्र ( ३ ८७ ) के अनुसार तीनों लिङ्गों में अदस् शब्द के प्रथमा एकवचन में 'अहं' रूप भी होता है । ( ख ) शौरसेनी में 'अह' रूप नहीं होता । साधारणतः स्त्रीलिङ्ग में अमू और नपुंसक में अमुं रूप प्रयुक्त होते हैं । प्रथमा इमो, अअं द्वितीया इमं णं तृतीया पश्चमी षष्टी अस्स, इमस्स, सप्तमी अस्सि, इमस्सि, इह, ये अमू अमृसु इत्यादि पुंल्लिङ्ग में इदम् शब्द के रूप : इमिणा, इमेण, रोण इदो, इमादो, इत्तो इत्यादि इ इ एहि, इमेहिं, गोहिं इमेहित इत्यादि इमाणं, सिं एस विशेष – (क) इदम् शब्द के स्त्रीलिङ्ग' में 'सु' विभक्ति - के पर में रहने पर 'इअं', 'इमिआ' और नपुंसक में सु और अन् के पर में रहने पर 'इदं' और 'इणं' रूप होते हैं । ( ख ) शौरसेनी में स्त्रीलिङ्ग एकवचन में 'इअ' और नपुंसक में इदम् शब्द) के प्रथमा 'इदम् ' 'इमम्' रूप
SR No.023386
Book TitlePrakrit Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhusudan Prasad Mishra
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1961
Total Pages320
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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