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अमरकुमार
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कथा प्रारम्भ करने से पहले, पश्च- परमेष्ठि को नमस्कार । अरिहन्तों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, आचार्यों को नमस्कार, उपाध्यायों को नमस्कार और लोक में रहनेवाले सब साधुजनों को नमस्कार । सच्चे-भाव से, इन पाँचों को नमस्कार करें, तो प्राणियों के सारे पाप दूर हो जायँ । निराधारों का आधार और दुःखियों का रक्षक यह नवकार - मंत्र है । जो इसे सुनते तथा सुनाते हैं, उन दोनों का इससे कल्याण ही होता है ।
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हे नाथ ! यह नवकार मंत्र जिस प्रकार अमरकुमार को फला, उसी तरह सब को फले ।
राजगृही - नगरी में श्रेणिक - राजा राज्य करते थे । उन्हें एक बार विचार आया, कि लाओ मैं एक सुन्दर - चित्रशाला ही बनवा डालूँ ।