SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 92
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४) दुःख नांगतु होय तो तेने कहीने तेनी पासे अपावq. वली सु. पात्र पुरुष विषे दाननो नत्साह धरवो ने आप, जेथी लान म. खवो बहु सुल्लन्न थाय ने. एक राजा देखीए गए ने एक रंक देखीए गए ते फेर थवानुं कारण एटलुंज के तेणे पूर्व नवने विषे सुपात्रने देखीने दान दीघांबे तेथी मल्युं ने, ने जे जीव रंक फरे ने तेणे पागले नव लान्नांतराय कर्म बांध्युं ने, तेथी लान मलतो नथी. केटलीएक वखत दातारना नाव,पापवाना थयाडे, तो पण लेनारे लानांतराय कर्म बांध्यु , तेना प्रत्नावे लेवामां विघ्न आवे . ने लान्न मली शक्तो नथी ए लानांतराय कर्मनुं फल माटे जेम बने तेम लानांतराय तूटे एम करवू, पण नवो बंवाय एम न करवू. ३. हवे त्रीजा नोगांतराय, स्वरूप ल . - नोगांतराय कर्म जीव अनादीनो बांधतो श्राव्यो तेना प्रनावे प्रात्माना स्वन्नावमा रहेवू ते रूप नोग नोगवी शकतो नथी, ते नोगांतराय कर्म बारमे गुणस्थानना अंतेज कर पाय , त्यारे सदाकाल आत्मानाज लोगने नोगवे , तेना सर्वथा प्रकारे लोग अंतरायनो त्याग थई जाय . केमके विन्नाव वासना रहेती नथी. इहां कोईने शंका थशे जे केवलज्ञानी महाराज समोसरणमा बिराजमान श्राय डे, देवकृत वीगेरे अतीशय प्राप्त थाय . आहार करे , सुंदर पवन वीगेरे आवे ने ए नोग के शुंडे? ते विषे जाणवू जे तीर्थंकर महाराजे तीर्थंकर नाम कर्म बांध्यु ले ते पुन्यना प्रन्नावश्री घणी वस्तुनी प्राप्ति थाय , पण तेमां नगवानने राग पण नश्री ने इष पण नश्री.ज्ञानश्री जाणे के सुन्नासुन्न कर्मनो नदय ने ते नदयना प्रनावथी पाय .ते मात्र कर्म नोगवी लेवा रूप , ए वस्तुमां अंशमात्र पण राग नथी. फक्त चार कर्म रह्यांने ते लोगवीने निर्जराववा . मादे तिर्थ
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy