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________________ (७३) वानी तेनो पण त्याम करवो जोईए . ए श्रादी बधां कारणो रोकीने तथा श्वासोश्वास रोकीने एक परमात्म पदमां लीन थयो ने तेमांज उपयोग रहे ले माटे ए समाधि उत्तम . वली सहज समाधि थाय, ते तो बहु नत्तम . केमके सेहेजे बीजा जम नावमां उपयोग रहेतो नथी,ने आत्मन्नाव स्थिर थई जाय ,ए समाधी तो धर्म ध्यानना पेटामांज . वली केटलाएक प्रकरोनुं ध्यान करवानी रीत , ते पण योगशास्त्रमा हेमचंशचार्य महाराजे बतावी, ते नपरथी प्रश्नोत्तर रत्न चिंतामणिमां लख्खेली, तेथी अंहीयां विस्तार कर्यो नयो, पण मुक्तिनुं निकट साधन , माटे आत्मार्थीए ध्याननो लक करवो बहुज उत्तम . जेम पाघमीने मे तोरो कसबनो शोने , तेम सर्व धर्म साधनमां ध्यान ने ते तोरा रूप . माटे ते साधननो अन्यास करवानी घणी जरुर दे, पण ध्यानने अटकावनार नपाधीनां कारणो; ते कारणो ज्यां सुधी ने त्यां सुधी सेदेज समाधी बनशे नहीं, केमके एकांते विचार करवामां ते कारणो याद प्रावशे एटले जे ध्यानमा स्थिर थर्बु दशे तेमां थवाशे नहीं, माटे ध्यान करवानी श्चावालाए जेम बने तेम बाहना कारणोनो त्याग करवो जोईए, ने घणा माणसनो परिचय पण त्याग करी एकांतमा मुख्यत्त्वे करीने रहे जोईए. त्यारे ए ध्यान बनवू सुगम पमे, अने विसुःश्ता या पठी तो एकांतनी पण जरुर परती नथी. जे पुरुष, चित्त जम लावधी खशी जाय , ने पोताना स्वन्नावमा स्थिर थई जाय , तेवा पुरुष तो सदाकाल जगतनो तमाशो जुवे . प्रात्मानो ज्ञान गुण जे ते जागवानो के, पण ज्यां सुधी मिथ्यात्व नाव गयो नथी त्यां सुधी राग शेष सहित जुवेने, ने जे जे जुवे ने तेमां राग अथवा ष बेमांथी एक श्रया विना रहेतो नश्री, पण मिथ्यात्वनी बासनाज खशी
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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