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________________ बोलवाथी, अथवा कोई दिक्षा लेनार पोतानो सगोले तेना मोहथी साधुनी निंदा करे , तेने दीक्षा लेवा देता नथी; वली बोले डे के साधुपणामां पण शुं फायदो ,आq बोले , नावे ठे, केटलाएक नामज्ञानी बनो बोले , के ए करवाथी काई लान नथी, ज्ञानयी सान्न एम कही विषय कषायनी प्रवृती गेमता नथी; गेमनारनी लघुता करे बे; एवं करवाश्री जीव चारित्रना लाननो अंतराय कर्म बांधे, माटे चारित्राचार जेथी प्रगटे एवां कारण सेवां, के कोई दीक्षा लेतो होय तेमां बनती मदद आपची, तेना कुटुंबना माणसने आजीवीकार्नु दुःख.होय तो आपपी शक्ति होय ते प्रमाणे दु:ख नागq के तेथी तेने दिक्षा लेवामां हरकत पमे नहि. कोई पण रीते संजमनी मदद पाय एम कर. संजम लेवानी सदानावना नाववी. कोई संजमवंतनी निंदा करतो होय तो तेनी निंदा टालवानो नद्यम करवो, जेमके राजग्रही नगरीमांनीखारीए दीक्षा लीधी तेने सारु लोक निंदा करता हता, पळी अन्नयकुमार मंत्रीश्वरे सवाक्रोम सोनैयानो बजारमा ढगलो कर्यो अने पाखा शहेरमां ढंढेरो फेरव्यो के जे माणस पृथ्वीकाय ते माटी प्रमुख, अपकाय ते पाणी, तेनकाय ते अग्नी, वायुकाय, वनस्पतिकाय, त्रसकाय ते जे हालता चालता जीव, एब कायनी हिंसानो त्याग करे, तेने आ सवाक्रोम सोनैया आपुं. पगी काइए पण सोनैया लीधा नहि. सर्व माणसो विचार करे जे संसार सुख हिंसा का विना बनतुं नथी, तो पइसाथी शुं करवू? एम विचारी कोई पण सोनैया लेवाने आव्यु नहि पी अन्नयकुमार मंत्रीश्वरे बजारमा लोकने आवी एकग कर्या ने पुज्यु जे आ सोनैया केम लेता नथी, त्यारे सर्वे कहे जे ए सोनैया लश्ने शुं करवू ? संसारमा खावं, पीवू, पहेरवु, नढ, गामी घोमा दोमाववा ते सर्वे काम हिंसा विना थतां नश्री,
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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