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________________ (१५) वq नश्री. जन्म मरण- दुःख टली जाय . सर्व प्रकारना विकल्पो टली जाय . पूर्ण आत्माना गुण प्रगट श्राय. बाधा कोई प्रकारनी नयी एवं अव्याबाध सुख प्राप्त थाय . तो ए श्रापनार तीर्थंकर महाराज . एज दानांतराय कय श्रवाश्री आत्मामां अनंत दान शक्ति प्रगट थई. तेथी ज्ञाननुं दान देई जगतने नव दुःखयी मुकावे . जे कांई करी न शके एवं अदनूत ज्ञानदान . वली गृहस्थपणामां हता त्यारे रोज एक वरस दिवस सुधी एक करोम ने आठ लाख सोनईमानुं दान दी, एवा दानेश्वरी जगत्मां कोई नथी.ए दानांतरायना क्षयोपशमन फल . वली ज्यारे केवलज्ञान प्राय डे त्यारे सर्वथा दानांतराय कय थाय ने तेना प्रनावे ज्ञान दान ले ए व्यवहारमां, ने निश्चयमां पोताना आत्माना गुण प्रवराई गया हता, ने बहिरात्म दशा थई हती ते टलो पोताना गुण पोताना आत्मामां श्राव्या ते रूपदान गुण प्रगट श्रयो ने सदाकाल अवस्थित, ने ते गुण सिह नगवान् श्राय डे त्यारे कायम रहे . ए जीव पोतानी आत्मसत्ताने ध्यावतां ते वर्तना करवाथी दानांतराय क्षय पाय. प्र. १७. दानांतराय शाथी बंधाय ? न. दान हरको पांचे प्रकारमांथी करतुंहोय,तेने कहे जे ए दान प्रापवुतेकरतां पेटेखावु ठीक ने तेगंमीलोकोने आपवामांशु फायदो के. वा गुणवंत होय तेने निर्गुणी ठरावी आपे नहि.वली आपता होय तेने ना कहे तेनी निंदा करे तेने कहे जे आतो नमान ले कांश पैसा खरचवानो विचार करतो नश्रो. वा पोते शक्तिवान होय ने दान आपनारनो महिमा थाय ते जोईने तेना नपर रोष करे, पोताथी बने तो तेनुं बिगामे, तेनी हीलना करे, वली कदापि दान आपे तो तेनो अहंकार करे, महारा जेवो ज
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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