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________________ (१एस) कल्प शांत अश् जाय. पण तेनी वर्तणुक याद लावी रमे ते. नो पार न आवे अने मातुं ध्यान पण विशेष थाय वली स्त्रियो धणीनुं सुख.याद करी रमवाथी काम पण दीप्त श्राय; तो पी कुलकण सेववानी बुद्धि थाय. आवा नुकशान कारक चाल सु. धारवा ए म्होटा पुरुषनी फरज .ए नित्य एवं रमवानुजारी रहे. वायी धणीने स्त्री संबंधी विकार जागवान साधन थाय ,माटे ए बदले एटलो वखत धर्म साधनमां काढवो एqजमुकरर कयुं होय तो वैराग्य दशाजागे, विकल्पनी शान्ति थाय, खोटामार्गनी बुद्धि थाय नहीं ने होय तो ते खोटी बुद्धि नष्ट थाय माटे एवा अवसरमां वैराग्यनी कथा विगरे सनिलवामां वखत काढवो, या बाबत जरुरनी . पण जैनमा हालमा वर्ने एवी रीति होय एम संन्नवतुं नथी. त्यारे अहीं कोई प्रश्न करशे जे, जे वखत मरुदेवी माताजी निर्वाण पाम्यां त्यारे जरत महाराजे पोक मुकी ते वात शास्त्रमा उ ए कंश धर्म रीत नथी, संसार रीत के एवी पोक मुकवायी लोकना जाणवामां आवे तेथी सर्वे लोक एकग थ जाय. ए तो मरण वखतनी एक क्रिया मे, पण आq बजार वच्चे कुटवू, रोज डेमा वालीने बेसवु, ते कंश साबीत चतुं नथी. ते वखते रागना बंधनश्री रुदन थइ जाय, लोकने जगाववा पोक मुके ए कृत्य संसार नीतिनुं पण त्यार बाद जे वधारे कृत्य थाय ले ते धर्मीष्टने करवा योग्य नथी. धर्मीष्टने तो जे रागादिक घटे एम करवू एज सार . प्रश्न.-जैन कोमनी चमती दशा केम थाय ? • ऊत्तर.- आ प्रश्ननो जवाब तो अतिशे ज्ञानी विना बी. जो को देवा समर्थ नथी अने ते आपणा नाग्यनी कसरथी अतिशे झानीनो विरह पमयो ने एटले खातरी पूर्वक जवाब देवा अशक्त ढुं. वली हुं जवाब लखुढं ते करतां पण म्हाराश्री
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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