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________________ (१५६) , ने कश्क सुधारा थया डे माटे बुध्विाला पुरुषोए पोताने त्यां एवो चाल बंध करवो जोइए. ए बंध करवाथी निंदा थवानी बीक राखवी नहीं. एवी बोक राखवाथी आपणे धर्म करो शकता नथी. में म्हारी माताजी काल धर्म पाम्यां त्यारे ए रीवाज बंध करवा धार्यु त्यारे म्हारा पीताजी हयात हता अने ते पण धर्म चुस्त हता तेश्रो नलटा कहेवा लाग्या जे एम करवू व्याजबी . आ वखत बंध अशे तो म्हारी पाउल पण बंध रहेशे तो म्हने पण लान मलशे एम बिचार। म्हारा पीताश्रीए वीर्य फोरवी बंध कर्यु, तेथी अज्ञानी निंदा करता हता; पण सुझ पुरुषो तो साबाशी आपता हता. परी म्हारा पीताए काल को ते वखते म्हारी मातानी व. खत निंदा करता हता तेटली निंदा न श्रश्; माटे पदेली वखत अगसमजु बोले तेना नपर समन्नाव राखीने आवा चाल बंध राखवा पहेल कर्या विना बनतुं नश्री. सर्वे चीज नद्यमने आधिन ने अने पोताना घरना पोते राजा माटे पोताने त्यां ए. वु रमवा कुटवानुं न करे तो कं न्यातवाला न्यात बहार मूकवाना नथी, माटे हिमत पकोने ए चालने रोकवा जोइए. ए रमवा कुटवानुं काम एवं ले के एक माणस रमतुं होय ते वात शांन्त पुरुषने सनिलवामां आववाथी एने पण राग प्राप्त थवाथी आंसु आवे ने तेनो निमीत्त नूत रमनार माणस ने माटे जेम बने तेम ए चाल सुझ पुरुषोए नगे करवो जोइए, तेने बदले एवो वहीवट थयो ले के आपणे तेने त्यां रमवा कुटवा नहीं जश्ये तो आपणे त्यां रमवा कुटवा कोण आवशे एटले जीवता मागसे पण रमे कुटे तेमां शोना लेवानी ठरावी. आ ते कहेवी अज्ञाननी राजधानी के मुवा पली पाते जोवा तो आववानो नथी अने रमशे कुटशे के नहीं तेनी
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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