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________________ (ए) मवानुं मटशे. आत्माना अवला विचारो थाय ने ते ते जमनी संगतनां फल . ते जमनी संगत बूटशे, ने आत्मानी सन्मुख थशे त्यारेज जे जे खरा विचार ते जगाशे, त्यांसुधी जणाशे नहि, माटे जमनी संगत नही करो के सर्व सारूं थाय. प्र. १३ जमनी संगत नबी करवाने शुं करवू ? न. सद्गुरुनी संगत, निस्पृही निर्विषयी, स्वात्मानावी एवा पुरुषनी सोबत करवायी मार्ग पामशो. प्र. १५. तमारा कहेवा प्रमाणे सर्वे कर्मथी बने ले तो तो जेम बनवानुं ले तेम बनशे. नद्यम करवानुं शुं काम ले ? उद्यम तो पागल तमे नकामो को . न.अमारा जैन शासनमां तो हरकोई कार्य थाय ने ते पांचे कारणो मब्याथी थाय ने. अने ते पांच कारणमां नद्यम पण कह्यो . तमे तो एकला नद्यमथीज कार्य मान्यु ते अमे न थी मानता, केमके प्रत्यक्ष जोईए गए जे नद्यम बहुए करे पण पुन्यनी खामी होय तो मलतुं नथी. वली एकला नद्यमथी थाय ले त्यारे तेने सारी करणी करवानी बुद्धिनाश पामे , केमके एना मनमां पूर्वना पुन्यनी श्रा नदी के पुन्यथी यशे, एटले पुन्य करवानो नद्यम नष्ट थई जाय , तेम केटलाएक नावी न. पर रहे डे के जेम बनवानुं हशे तेम बनशे. ते पण निरुद्यमी थाय . ते पण कामर्नु नथी. पांचे कारणना जोग मलवाथीज कार्यनी सिहि थाय . प्र. १५. (अ) पांच कारण शी रीते मानो गे? ___ न. पांच कारण ते काल, स्वन्नाव, नियत, नद्यम अने पूवकृत. या पांच कारण मले ने त्यारे हरेक कार्य थाय . काल ते हालमां पंचम काल . तो पंचम कालमां कोई जीव मुक्तिमां जई शके नहि. त्रीजो चोथो आरो वर्ततो होय त्यारेज जीव मोद
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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