SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (१३४) सानो त्याग करता नथी.असत्य बोलवू नहीं ए गये दर्शनवालाने मान्य , तेम उतां गुरु थइने असत्य बोलतां मरे नही, चोरी करवी नही, कोईने उगवू नही, ए जगत निंदनीक . सर्व ध. र्ममा निषेध . ते उतां गुरु नाम धरावे अने चोरी ठगा कपटनां काम करे. पर स्त्रीनो त्याग सर्व धर्ममां ने जगतमां निंदनीक मे, तेम उतां गुरु थ सेवकनी स्त्री, बेन, मा, गेकरीनी साथे मैथुन सेवतां मरे नहि. साधुने धन राखq नहि जोईए ए आर्य धर्मनी मर्जादा ने तेम उतां सेवक पासेथी धन ले. वली कपट लुच्चा करी धन मेलवे. सेवको नपर जुलम करीने धन ले. आवी वर्तणुकना करनारने गुरु माने, हजारो रुपीआ आपे आ अज्ञामदशानी प्रबलता . आवाने गुरु मानवानो विचार जेने नश्री, ते बीजा सत्य असत्य धर्मने ते शं तपासे ? अज्ञानपणे एवा अज्ञानी गुरुथी ठगाय ने एटलेथी बस नश्री. आवते नव खरा धर्मनी निंदा करवाथी जे कर्म बंधाय ले तेथी नवोनव जीव धुर्मतिनां सुख नोगवशे, अने जे पुरुष आत्मार्थी थयो , एटलुं अज्ञान खस्युं ने तेना प्रत्नावणी न्यायनी बुद्धिजामे तेथी सत्य असत्य मार्गनी परीक्षा करी खोटो मार्ग त्याम करी सत्य मार्ग अंगीकार करे . जेम गौतमस्वामी महाराज श्रीमन्-महावीर स्वामी नगवाननी महत्त्वता सांजली घणाज रोशमां तथा अहंकारमा व्याप्त श्रया हता, अने नगवान सामे वाद करवा समोलरणमां आव्या हता, पण जगवते वेदनाज अर्थ समजावी खरो मार्ग गौतमस्वामी महाराजने समजाव्यो. ते न्यायनी बुड़ियी विचारी सत्य जाणी ग्रहण कर्यो अने पोताना असत्य धर्मनो त्याग कर्यो, अने नगवान सर्वज्ञ एवं दृढ करी पोते लगवानना शिष्य अया. नगवते वास केप को. एटलामां नगवानना प्रत्नावथी आवर्ण खपवाथी हाद
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy