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________________ प्रारीतनावेदोमां मंत्र ते दयानंद ब्लकपट दर्पण नामनी चोपमीमां में वांच्या पाने १ ते नपरथी वेदना जाणकार शा. स्त्रीने बताव्या, अने पूग्युं के आ मंत्रो तमारा वेदमां ? त्यारे ते शास्त्रीये सत्य दशा धरीने कडं जे अमो नित्य वेदनुं अध्ययन करीये गएं, तेमां आवे छे. आशास्त्रीना कहेवायी खात्री थई के वे. दमांनाज बे,तेथी आ चोपमीमांदाखल कर्या, जे हट विनाना होय तेने समजाय के जैनना देवने पण वेदवालाए मान्यकर्या .तोते. मनी निंदा केम करूं-वली जैनधर्म नवीन एवं जेना मनमांहोय तेने समजाय के जैनना ऋषनदेवजीथी ते चोवीशमा महावीर स्वामी पर्यंत चोवीस तीर्थंकरना बहुमान नमस्कार कर्या , तो ए जैनधर्मना देव अया पठी वेद ययाके केम? जो वेद अनादि होत तो ए देवनुं स्मरण थात नही. माटे जैनधर्म अनादि ने ए निश्चे वेदश्रीज थाय . पण आ वात जेने मिथ्यात्व पातलु पमयुं हशे तेने समजाशे. पण जे हठ कदाग्रही , अज्ञाननु जोर पूर्ण ने तेवा माणसने विचार करवानी बुद्धिज जागती नथी अने खळं समजातुं नथी. करता आव्या ते करवू एटलुंज समजी राख्युं ने, अने ज्यारे अज्ञान खसशे त्यारे खळं खोटुं खोलवानी बुद्धि जागशे, अने खलं अंगीकार करशे. जे जे मागस पो. ताना देव माने , अने ते देवोए धर्म बतायो , ते प्रमाणे ते देवो धर्ममा वा के नही, ते सारु देवोनां शास्त्रमांचरित्र ते जोवां जोईए, अने ते चरित्रमा जेम आपणने चालवा कहे ले तेम ते पुरुष चालेला नबी अने सर्वज्ञपणुंमाने तेचरित्रथी सिह थाय ने के नही, अने ते सिह न पाय तो पठी तेमने देव शा सारु मानवा एवो विचार अज्ञान खसशे त्यारे थशे. त्यांसुधी यशे नहीं: वली गुरुपणुं धरावे , अने लोकने धर्म नपदेश देने के अहिंसा धर्म सर्वमा मुख्य ने एम समजावे पण पोते हिं.
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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