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________________ (११) आवी चोरी जशे, वा विनाश पामशे, वा कोईने व्याजेापीश ते पाग रुपीआ आपशे के नहि, वा वेपारमा खोट जशे, एवी रीतना नयनी चिंता करवी ते आदान नय. एवो नय करवो तेनुं चिंतवन करवू, तेने ज्ञानी पुरुषो वार्तध्यान, तथा रोइ ध्यान कहे जे, अने ए ध्यानयी जीव नरक, तिर्यंचनी गति बांधे, माटे ज्ञानी पुरुष होय ते तो विचार करे के, ए वस्तु मारी नथी. कर्मना संजोगथी अज्ञान दशा थई , ते अज्ञान दशाए करी ए वस्तु नपर ममत्व नाव थयो . ते ममत्व नावथी नय थयां करे ने, ए मारे करवा जोग नश्री. एवीनावना नावी, जय संज्ञानतारे , के ए धनादीक वस्तुनो स्वन्नाव अथीर के, ज्यां सुधी पुन्य बलवान त्यां सुधी जवानुं नथी, अने ज्यारे पापनो उदय थयो त्यारे राखी मुकेखें धन रहेवार्नु नथी, माटे जीव शा सारू ममत्व नाव करे , एवी रीते नावी, नय संज्ञाथी निर्नय थाय के. विशेष ज्ञान थाय ने, त्यारे संसारनो त्याग करे , संजम ले बे. तेथी एवी वस्तु त्याग करवी, एटले लय रहेवानो नथी,अने पोतानी पासे धर्म नपगरण तथा पुस्तक होय , तेनो पण नय राखता नथी. पोताना आत्माने नावे , ने पोताना आत्माने नाववाथी सर्वथा नय संज्ञानो नाश करे , अने आत्माना गुण संपूर्ण प्रगट करे ....... _____ अकस्मात् नय. ते बाह्य कारण विना,अकस्मात मनमां नयन्त्रांत थाय, मर लागे, ए कर्मना नदयना प्रत्नावश्री जे. एवा जय पण कर्मनी बोहोलतायी थाय जे. जेने आत्म गुण प्रगट श्रया तेमने एवा नय लागता नथी. ५ आजीवीका नय समवायांगजीमां कयो ने, अने गगांगजीमा वेदनालय कह्यो ने माटे ते नयनुं स्वरूप लखुं .पो. तानी पेट पुरण। पुरी अवा संबंधी जीवनय करी रह्यो बे, पण
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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