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________________ गाय विधा. तेनुं वानरहुं तेणे रोज एक वखत माल उपर लश्ने चमवा मांमयु. एम रोज अभ्यास करवाथी बलद थयो तो ते पण नपामीने चमवानी शक्ति थई तेम अभ्यास करवाथी शक्ति वधे . तप, संयम अने ज्ञाननो अन्न्यास हमेश करवो, के वीर्यांतरायनो क्योपशम थशे, ने वीर्य वृदिपामशे अने जे जीव संसारमां वीर्य फोरवशे, ने धर्मना काममा प्रमाद करशे, तो वीयाँतराय कर्म नवं बांधशे ने आ नवमां वीर्य में तेटलं पण आव. ता नवमां मली शकशे नहि, अने अनादि कालनुं वीर्यातराय बांधेनुं ने तेथीज आत्माना गुण प्रगट थता नथी,ते मोटो दोष . ए रीते पांचे प्रकारनां अंतराय कर्म नगवंते क्षय करी पोताना आत्मगुण प्रगट कर्या ने, ने आपणा जीवे तेवो नद्यम न को तेथी अनादिनो संसारमा रोलाय , अने जन्म मरणनां दुःख नोगवे ने ते दुःखथी मुकावा सारु नगवंतनी आज्ञा प्रमाणे वर्तवू के जेथी आत्माना गुण प्रगट थाय. ए रीते पांच दूषण कह्या. .. . . . .. हास्यनामा दूषण तेथी रहित नगवान डे अने संसारी जीव ए दूषणे सहित . ए सेववाथी अनादिकालनो जीव संसारमा रोलाय , अने ज्यां सुधी हास्यथी मुकाशे नहि त्यां मुधी आत्मानुं काम श्रवान नथी. हास्य थकी संसारमा पण केटलां कुःख ले ते सघला माणस जाणे , तो पण जागृत करवा लखु बु. केटली एक वखत हास्य करवाथी पोतानां माचां दुःखे ने. हास्यने रोकवा मागे तो रोकी शकातुं नथी. वली जेनुं हांसुं करीए ते वखते मुखे न बोले पण अंतरमां तेने केटलुं दुःख थाय ! ते जो माणस पोते विचार करे के मारी हांसी करे , ते वखत मने अंतरंगमा केटो कुःख थाय ? तेवी रीते सामा धणीने पण कुःख थाय माटे परने फुःख देवु तेथी वधारे बुराश्शी
SR No.023346
Book TitleAdhar Dushan Nivarak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnopchand Malukchand Sheth
PublisherAnopchand Malukchand Sheth
Publication Year1903
Total Pages232
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size18 MB
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